नई दिल्ली: इन दिनों हर छोटी-बड़ी जरूरत का सामान आसानी से Online मिल जाता है। आजकल तो लोग दवाइयां (Medicines) भी ऑनलाइन ही मंगा लेते हैं।
अगर आप भी ऑनलाइन दवाएं खरीदते हैं तो यह खबर आपके लिए है। भारत में ऑनलाइन दवाओं (Online Drugs) का बाजार तेजी से बढ़ रहा है। ऐसे में Pharmacy Sector में होने वाले बदलावों के बारे में भी आपको पहले से जान लेना चाहिए।
अपोलो फार्मेसी (Apollo Pharmacy) से लेकर टाटा ग्रुप का वन MG और रिलायंस का netmeds तक दवाओं को घर बैठे खरीदना काफी आसान हो गया है।
ऑफलाइन बनाम ऑनलाइन फार्मेसी
आमतौर पर ऑनलाइन फार्मेसी (Online Pharmacy) से डिस्काउंट भी अच्छा खासा मिल जाता है लेकिन केमिस्ट की दुकान खोलकर बैठे फार्मासिस्ट के लिए ऑनलाइन फार्मेसी से लड़ पाना मुश्किल होता जा रहा है।
ना वो इतने डिस्काउंट दे पाने की हालत में हैं और सरकार के सारे नियम कायदों का पालन करना भी ऑफलाइन फार्मेसी यानी केमिस्ट की दुकान के लिए जरूरी है।
ऐसे में कम होते ग्राहकों ने केमिस्टों को रुला दिया है। लिहाजा 5 सालों से ज्यादा से केमिस्ट एसोसिएशन ऑनलाइन मेडिसिन प्लेटफार्म (Chemists Association Online Medicine Platform) के खिलाफ जंग लड़ रही है।
कैबिनेट सेक्रेटरी को लिखा गया पत्र
अब केमिस्ट एसोसिएशन ने कैबिनेट सेक्रेटरी राजीव गाबा को पत्र लिखकर कहा है कि भारत में आनलाइन दवाएं नियम कानूनों का उल्लंघन करके बिना लाइसेंस के बेची जा रही हैं।
इस पर रोक लगाई जानी चाहिए। All India Organisation of Chemists and Druggists (AIOCD) जो कि 12 लाख केमिस्टों की एसोसिएशन है।
उसने दिल्ली हाईकोर्ट के 2018 के आदेश का हवाला देते हुए कहा है कि कोर्ट ने इन प्लेटफार्म को बिना License दवा बेचने पर स्टे लगाया हुआ है फिर भी ये दवाएं बिक रही हैं।
20 कंपनियों को मिल चुका है नोटिस
ये मुद्दा नया नहीं है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी इसी साल फरवरी में Online Pharmacy वाली 20 कंपनियों को नोटिस भेजकर पूछा था कि वो बिना लाइसेंस दवाएं कैसे बेच सकते हैं।
हालांकि, इस बारे में Central Drugs Standard Control Organisation (CDSCO) ने सरकार को स्टेटस रिपोर्ट सौंपते हुए कहा था कि भारत में मौजूदा ड्रग एंड कास्मेटिक एक्ट में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जो ऑनलाइन दवा प्लेटफार्मस के लिए बना हो।
नकली दवाइयां पहुंच सकती हैं बाजार में
आपको बता दें कि जब ये कानून बनाए गए तब ऑनलाइन शब्द भी इजाद नहीं हुआ था लेकिन रेगुलर केमिस्ट की दुकान की बॉडी से लगातार दबाव आने के बाद सरकार ने कारण बताओ नोटिस जारी किया था।
Online Platform को लेकर ये डर जताया जाता है कि वो मरीजों का डाटा इकट्ठा करके उनका गलत इस्तेमाल कर सकती हैं। ऑनलाइन प्लेटफार्म पर ड्रग्स, प्रेग्नेंसी खत्म करने वाली दवाएं और कुछ बैन हुई दवाएं भी मिल जाती हैं।
डर ये भी जताया जाता है कि सस्ती दवा बेचने के चक्कर में बाजार में नकली दवाएं पहुंच सकती हैं। इससे मरीजों को खतरा हो सकता है।
सरकार तैयार कर रही है बिल
इस समस्या के स्थाई समाधान के लिए सरकार New Drugs, Medical Devices and Cosmetics Bill, 2023 बना रही है जो पुराने कानून को रिप्लेस करेगा लेकिन तब तक क्या होगा किसी को पता नहीं है।
ये बिल बनने में काफी देरी हो रही है और ऑनलाइन कंपनियां (Online Companies) अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। उनकी ओर से अक्सर ये दलील दी जाती है कि सरकार हम सब को मिलने का समय नहीं देती और अपनी पसंद से एक दो कंपनियों के अधिकारियों को बुलाकर बात कर लेती है। लेकिन इन सबके बीच बड़ा सवाल है कि अगर डॉक्टर वर्चुअल (Doctor Virtual) हो सकते हैं तो दवाएं वर्चुअल क्यों नहीं मिल सकती हैं?
खराब दवाइयों का कौन है जिम्मेदार?
ऑनलाइन प्लेटफार्मस (Online Platforms) के लिए नियम बनाए जा सकते हैं कि वो बिना प्रिस्क्रिप्शन अपलोड किए कोई दवा नहीं बेचेंगे लेकिन गली में खुली केमिस्ट की दुकान से बिना प्रिस्क्रिप्शन के एंटीबॉयोटिक (Antibiotics) से लेकर नींद की दवा तक लेना आज कोई मुश्किल काम नहीं है।
हालांकि, ऑनलाइन दवा खरीदने पर ये जवाबदेही मुश्किल हो जाती है कि दवा खराब निकलने पर आपके सामने इंसान नहीं एक वेबसाइट होगी जिससे आपको लड़ना पड़ सकता है।
दरअसल, सारा खेल Discount के मुकाबले बड़ी दुकानों को चलाए रखने का है। वैसे ही जैसे ऑनलाइन कपड़े (Online Clothes ) बेचने वाली कंपनी मार्केट में बने बड़े शोरूम को काम्पिटिशन दे रही है। इसीलिए सरकार ऑनलाइन दवाओं (Online Drugs) को रोकने के बजाय उनके लिए नियम लाने पर काम कर रही है।