नई दिल्ली: कोरोना महामारी की इस दूसरी लहर में ऑक्सीजन या अस्पताल में बिस्तर की गंभीर समस्या पैदा हो कर दी।
वहीं रेमडेसिविर टोसिलिजुमाब, फेविफ्लू जैसी दवाओं की कालाबाजारी भी तेजी से बढ़ी है। दिल्ली सहित देश के ज्यादातर शहरों में ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, ऑक्सीमीटर, कालपोल, मेफटाल, एचसीक्यू आइवमेक्टिंन जैसी दवाएं भी बाजारों से गायब होने लगी हैं।
जबकि ब्लैक मार्केट में यह खूब मिल रही हैं और इनकी कीमतों ने आसमान छू लिया है।
दिल्ली, मुंबई, जयपुर, लखनऊ, चंडीगढ़, अहमदाबाद, भोपाल, ग्वालियर तक में ऑक्सीजन कंसंट्रेटर 2 लाख रुपये से भी अधिक कीमत में काफी मुश्किलों के साथ मिल रहा है।
आमतौर पर या बाजार में 40 से 50 हजार तक की कीमत में मिलता था। लेकिन अब यह 4 गुना से भी अधिक महंगा हो चुका है।
गौर करने वाली बात है कि ऑक्सीजन कंसट्रेटर केवल उन्हीं लोगों को मिल रहा है जो पूरा पेमेंट देने के बाद भी 2 से 3 दिन की वेटिंग ले रहे हैं।
ठीक इसी तरह नोएडा की दवा दुकानों पर कालपोल, मेफटाल जैसी दवाएं गायब हो चुकी है हालांकि दिल्ली में उपलब्ध है। एक रुपये में एक कालपोल दवा मिलती है लेकिन अब यह400 तक की कीमत में 15 गोली मिल रही है।
यानी करीब 27 की एक गोली। 44 में मिलने वाली मैफटोल की 10 गोली की स्ट्रिप अब 200 से 300 रुपये में भी मिल रही है।
इसके अलावा हाइड्रोक्लोरोक्वीन, डॉक्सीसाइक्लिन, डेक्सामेथासोन विटामिन सी, विटामिन ई और जिंकोविट मल्टीविटामिन गोली दवा से गायब होने लगी हैं।
नवी मुंबई के सिटी अस्पताल के निदेशक डॉ अशोक कुमार ने बताया कि यहां ऑक्सीमीटर 3000 रुपये तक में मिल रहा है। चीन और कोरिया निर्मित ऑक्सीमीटर सबसे अधिक ब्लैक मार्केट में हैं।
वहीं दिल्ली में दवा विक्रेता संघ के कैलाश गुप्ता ने बताया कि यहां 2500 रुपये में यह मिल रहा है वह भी कुछ ही जगहों पर। कुछ समय पहले यह 1200 से 1400 रुपये मिल रहा था।
इस पर दिल्ली एम्स के ही डॉक्टरों का कहना है कि बाजार में सरकारी जितनी शक्ति बढ़ाएंगी कालाबाजारी उतनी ही तेजी से बढ़ने लगती है। इसका उदाहरण ऑक्सीजन के रूप में देखने को मिल भी रहा है।