दरभंगा: स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले पद्मश्री डॉ. मानस बिहारी वर्मा अब इस दुनिया में नहीं रहे।
उनका निधन सोमवार की देर रात लहेरियासराय स्थित आवास पर हार्ट अटैक से हो गया। उनके निधन से साइंस के क्षेत्र में ही नहीं, अपितु देश एवं बिहार सहित पूरे मिथिला को बड़ा नुकसान हुआ है।
बिहार में दरभंगा जिले के घनश्यामपुर प्रखंड के बाऊर गांव के मूल निवासी पद्मश्री डॉ. मानस बिहारी वर्मा के भतीजे मुकुल बिहारी वर्मा ने मंगलवार को बताया कि डीआरडीओ बेंगलुरु में रक्षा वैज्ञानिक रहे डॉ. वर्मा का निधन सोमवार की रात करीब 12 बजे लहेरियासराय के केएम टैंक स्थित किराए के आवास पर हृदय गति रुकने से हो गया।
डॉ. वर्मा पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के सहयोगी रहे, इसीलिए वे जब भी बिहार आते थे तो इनसे जरूर मिलते थे। स्वदेशी लड़ाकू विमान ‘तेजस’ को बनाने में डॉ. वर्मा की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
वे अविवाहित थे। उनके निधन की खबर मिलते ही केएम टैंक स्थित उनके आवास पर बड़ी संख्या में लोग पहुंचने लगे। उनका अंतिम संस्कार बाऊर में किया जाएगा।
दरभंगा जिले के सुदूरवर्ती और लगभग हर साल बाढ़ग्रस्त होने वाले घनश्यामपुर प्रखंड के छोटे से गांव बाऊर में पिता आनंद किशोर लाल दास और माता यशोदा देवी के घर 29 जुलाई 1943 को उनका जन्म हुआ था।
डॉ. वर्मा की चार बहनेें और तीन भाई थे। उनके बचपन की प्रवृत्तियों को देखकर माता-पिता उन्हें ऋषि कहा करते थे।
प्रख्यात मैथिली साहित्यकार ब्रजकिशोर वर्मा मणिपद्म के परिवार से होने के कारण बाल्यकाल में उन्हें पढ़ाई-लिखाई का उचित माहौल मिला। उनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव में ही हुई।
हाईस्कूल तक की पढ़ाई उन्होंने जिला स्कूल चाईबासा (वर्तमान में झारखंड), जिला स्कूल गया और जिला स्कूल मधेपुर से की।
इसके बाद पटना साइंस कॉलेज, बिहार इंजीनियरिंग कॉलेज और सागर विश्वविद्यालय से उच्च और तकनीकी शिक्षा हासिल की।
डॉ. वर्मा डीआरडीओ से 2005 में सेवानिवृत हुए थे। उन्हें दर्जनों पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है।
उन्हें डीआरडीओ के ‘साइंटिस्ट ऑफ द इयर’ और ‘टेक्नोलॉजी लीडरशिप अवॉर्ड’ से क्रमशः पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी और पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने सम्मानित किया था। 2018 में उन्हें पद्मश्री सम्मान दिया गया।