नई दिल्ली: भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) का दावा है कि देश मे 80 फीसदी कोविड-19 मरीजों में बेहद सामान्य लक्षण जैसे बुखार, गले में दर्द और खांसी नजर आ रहे हैं।
यह श्वसन प्रणाली में सामान्य संक्रमण के लक्षण हैं और यह मरीज पूरी तरह ठीक हो जा रहे हैं।
इसके साथ ही चेताया है कि आईब्रूफेन और इस प्रकार की अन्य दर्द निवारक दवाएं रोगी की सेहत और बिगाड़ सकती हैं। इनकी वजह से हार्ट फेल होने और किडनी क्षतिग्रस्त होने के खतरे बढ़ते हैं।
आईसीएमआर ने सुझाव देते हुए कहा, जरूरत हो तभी पैरासिटामोल जैसी दवा लें। नॉन स्टेरॉयड एन्टी इंफ्लेमेट्री कही जाने वाली दवाओं को आईसीएमआर ने घातक बताया है।
आईसीएमआर ने अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न नामक शृंखला में मरीजों के प्रश्नों का जवाब दिया है।
ब्लड प्रेशर की दवाओं से कोविड-19 की गंभीरता बढ़ने का कोई साक्ष्य नहीं मिला है। यह दवाएं हार्ट फेल होने से रोकने में काम आती हैं, हृदय को काम करने में साथ देती हैं और उच्च रक्तचाप नियंत्रित रखती है।
मरीज अगर खुद ही इनका उपयोग रोकेगा तो यह घातक हो सकता है। उसके हृदय को नुकसान पहुंच सकता है।
पुरानी बीमारियों जैसे हृदय रोग, मधुमेह और हाइपरटेंशन के मरीजों में कोरोना का संक्रमण जल्दी होने की आशंका को खारिज करते हुए देश की इस सबसे बड़ी चिकित्सा शोध संस्था ने कहा कि अब तक ऐसा कोई साक्ष्य सामने नहीं आया है।
हालांकि इन रोगों से प्रभावित लोगों में कोविड-19 के बेहद गंभीर मामले हो सकते हैं, इसलिए उनकी खास देखभाल करने की जरूरत है। उसने चिकित्सा विशेषज्ञों व हृदय रोग विशेषज्ञों के समूह के अनुभवों के आधार पर यह दावे किए।
आईसीएमआर ने कहा कि मधुमेह के मरीज अगर रोग को नियंत्रित नहीं रखते हैं तो उन्हें कई प्रकार के संक्रमण होने की संभावना वैसे ही बढ़ जाती है।
वे लोग अपने खान-पान पर विशेष ध्यान दें और व्यायाम को नियमित दिनचर्या का हिस्सा बनाएं। दवाई नियमित रूप से लें और शुगर स्तर लगातार जांच करते रहें ताकि इसे नियंत्रित रख सकें।