इस्लामाबाद : पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कश्मीर विवाद पर भारत को बातचीत की चुनौती दी है और कहा है कि भारत में अगर हिम्मत है और अगर वो समझता है कि कश्मीर पर उसका कदम सही है तो वो बातचीत की मेज पर आए।
कुरैशी ने आरोप लगाया कि भारत बातचीत से डरता है और कहा कि भारत जम्मू-कश्मीर में राज्य द्वारा संचालित क्रूरता कर रहा है।
उन्होंने कहा, भारत ने शांति वार्ता के लिए प्रधानमंत्री इमरान खान की पेशकश पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। भारत ने इसके बजाय कश्मीर में स्थिति को और खराब कर दिया।
कुरैशी ने दावा किया कि कश्मीर एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त विवाद है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान और भारत के बीच लंबे समय से जारी इस विवाद का हल बलपूर्वक नहीं किया जा सकता।
उन्होंने कहा, भारत दशकों से कश्मीरियों के अधिकारों का दमन कर रहा है और उनके खिलाफ कठोर कदम उठा रहा है।
उन्होंने कहा, परमाणु हथियारों से लैस दो पड़ोसियों के बीच कश्मीर एक अहम मुद्दा है।
इस मामले पर पाकिस्तान के रुख को सामने रखते हुए कुरैशी ने कहा कि देश ने वैश्विक समुदाय के सामने इस बात को रखा है कि इस्लामाबाद क्षेत्र में शांति और स्थिरता चाहता है।
कुरैशी ने कहा, आर्थिक स्थिरता अमन के साथ जुड़ी हुई है।
इस क्षेत्र में निवेश तभी आएगा जब शांति बनी रहेगी। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय शांति इस बात पर निर्भर करती है कि कश्मीर विवाद कितना जल्दी हल हो जाता है, कश्मीरी लोगों की इच्छाओं और आकांक्षाओं के अनुसार।
भारत में चल रहे किसान आंदोलन के मुद्दे पर निशाना साधते हुए कुरैशी ने कहा कि मोदी सरकार प्रदर्शनकारी किसानों की आवाज को दबा नहीं पाई है।
उन्होंने कहा, पूरा भारत किसानों की आवाज का समर्थन कर रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि कश्मीर पर पाकिस्तान का रुख और जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोप अमेरिका में राष्ट्रपति जो बाइडेन के नए प्रशासन और संयुक्त राष्ट्र के सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्य बनने के भारत के इरादों के साथ जुड़े हुए है।
पाकिस्तान ने यूएनएससी का हिस्सा बनने के भारत के प्रयास का कड़ा विरोध किया है, क्योंकि यह संयुक्त राष्ट्र के वैश्विक मंच पर कश्मीर पर इस्लामाबाद की स्थिति को और कमजोर करेगा।