इस्लामाबाद: पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को तीन मानसिक रूप से बीमार अपराधियों को मौत की सजा पर रोक लगाते हुए कहा कि यह न्यायोचित नहीं होगा।
समाचार पत्र डॉन की खबर के मुताबिक, शीर्ष अदालत की लाहौर रजिस्ट्री में न्यायमूर्ति मंजूर अहमद मलिक की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने फैसला सुनाया।
सात जनवरी को पीठ ने मैराथन सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसमें मौत की सजा पर कई मानसिक रूप से बीमार कैदियों से संबंधित अपील की गई थी।
तीन कैदियों कनीजन बीबी, इमदाद अली और गुलाम अब्बास ने मानसिक बीमारी के तीव्र लक्षणों के साथ मौत की सजा के साथ क्रमश: 30, 18 और 14 साल बिताए।
बुधवार को पीठ ने बीबी और अली की मौत की सजा को आजीवन कारावास की सजा में बदल दिया, जबकि अदालत ने अब्बास की ओर से एक नई दया याचिका तैयार करने का भी निर्देश दिया।
अदालत ने पंजाब की प्रांतीय सरकार को तीनों दोषियों को तुरंत इलाज के लिए पंजाब इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ, लाहौर में स्थानांतरित करने का भी निर्देश भी दिया है।