पलामू : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पलामू आगमन से पहले ही प्रशासन की ओर से कई युवाओं को नजरबंद करने का मामला शुक्रवार को प्रकाश में आया है।
कुछ को मुख्यमंत्री के कार्यक्रम से पहले थाना में बैठाकर रखा गया, तो कुछ को घर में ही हाउस अरेस्ट किया गया। कुछ युवाओं ने सोशल मीडिया पर वीडियो जारी कर बताया है कि उन्हें पुलिस ने शहर छोड़कर जाने के लिए कहा है।
बताया गया कि सरकार गठन के दो साल बाद हेमंत सोरेन पलामू पहुंचे थे और इस मौके पर विरोध के स्वर को दबाने के प्रयास से युवाओं में आक्रोश है।
छात्र नेताओं का कहना है कि लोकतंत्र में सभी को विरोध करने का अधिकार है। लेकिन, प्रशासन ने पावर का रॉब दिखाकर उसे कुचलने की कोशिश की है।
इतना ही नहीं, कार्यक्रम स्थल पर काले रंग के कपड़े के साथ किसी को एंट्री नहीं दी जा रही थी। मफलर से लेकर काले रूमाल तक की सख्त जांच की जा रही थी।
भाषण तो आपने हिंदी, टूटी फूटी भोजपुरी और मगही में ही दिया था। फिर नई नियमावली से यह भाषा को हटा क्यों दिए? पलामू के हम जैसे युवा आपको मौका दिए ताकि रघुवर दास जैसी निक्कमी सरकार को हटा युवा की सरकार आये। आप तो आज पलामू के युवाओ को अपने कार्यक्रम से पहले ही नजरबंद करवा दिए। pic.twitter.com/jsc0kGcpmw
— राहुल कुमार दुबे (@rahulkrdubey) December 10, 2021
एंट्री से पहले उन्हें या तो उसे फेंकने के लिए कहा जा रहा था या बाहर ही रोक दिया जा रहा था।कुछ महीनों पहले झारखंड सरकार ने राज्य कर्मचारी चयन आयोग की प्रतियोगी परीक्षाओं से हिंदी, भोजपुरी, मगही को अलग कर दिया था।
इसे लेकर मुख्यमंत्री के पलामू आगमन को लेकर कई छात्र नेताओं ने विरोध दर्ज किया था। कुछ ने काले कपड़े दिखाने का भी एलान किया था।
एआईएसएफ के छात्र नेता विदेशी पांडेय को घर में ही नजरबंद कर दिया गया है। विदेशी पांडेय ने वीडियो जारी कर कहा कि लोकतंत्र में सबको विरोध और प्रदर्शन करने का अधिकार है। पुलिस ने उन्हें घर में ही नजरबंद कर दिया है।
अभिषेक मिश्रा ने बताया कि उन्हें थाना बुलाकर बैठा लिया गया। उन्होंने कहा कि इस तरह से युवाओं की आवाज को दबाया नहीं जा सकता है।