पाकुड़: राज्य सरकार 29 दिसंबर तक पारा शिक्षकों के लिए बिहार की तर्ज पर नियमावली उपलब्ध नहीं कराती है, तो हम उग्र आंदोलन के लिए मजबूर होंगे।
ये बातें स्थानीय लड्डू बाबू आम बगान में आयोजित झारखंड राज्य प्रशिक्षित पारा शिक्षक संघ की बैठक में संघ के प्रधान सचिव सुमन कुमार ने कहीं।
उन्होंने कहा, “हमने बड़े विश्वास और उम्मीद के साथ चुनाव में हेमंत सोरेन की सरकार बनवाने में साथ दिया था, लेकिन अब हम खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।
नतीजतन राज्य भर के पारा शिक्षकों में हेमंत सरकार के खिलाफ आक्रोश उभरने लगा है।”
संघ के प्रदेश महासचिव विकास कुमार चौधरी ने कहा, “राज्य में महागठबंधन की सरकार को बने दो वर्ष पूरे हो गये, लेकिन अभी तक पारा शिक्षकों के हित में कोई ठोस पहल तक नहीं की गयी है।
राज्य सरकार पूर्व के समझौते के तहत नियमावली बनाये और न्यूनतम 24 हजार रुपये मानदेय की बढ़ोतरी करे।” उन्होंने कहा कि पारा शिक्षकों की सेवा शर्तों की नियमावली के बाबत फिर तारीख मिली, तो आक्रोशित पारा शिक्षकों को सड़कों पर उतरने से कोई रोक नहीं सकता।
संयुक्त सचिव ब्रजमोहन ठाकुर ने कहा कि शिक्षा मंत्री ने सार्वजनिक रूप से कहा था कि आकलन परीक्षा में असफल पारा शिक्षकों को वेतनमान तो नहीं मिलेगा, लेकिन उन्हें हटाया नहीं जायेगा।
लेकिन, अब राज्य सरकार ऐसे पारा शिक्षकों को बर्खास्त करने की बातें कर रही है, जो संघ को स्वीकार्य नहीं है। 29 दिसंबर के बाद राज्य सरकार के खिलाफ संघ का उलगुलान होगा।
जिलाध्यक्ष एजाजुल हक ने पाकुड़ के विधायक सह राज्य के ग्रामीण विकास विभाग मंत्री आलमगीर आलम पर तंज कसते हुए कहा कि चुनाव के वक्त पारा शिक्षकों के स्थायीकरण और वेतनमान देने का वादा किया था, लेकिन मंत्री बनने के बाद इस मुद्दे पर चुप्पी साध रखी है।