बोकारो: झारखंड के सरकारी स्कूलों में राज्य की हेमंत सरकार का नियम नहीं चलता है।
जी हां, सरकार के नियमों के मुताबिक स्कूलों में सरकारी शिक्षक की मौजूदगी में पारा शिक्षकों को प्रभारी प्रधानाध्यापक नहीं बनाना है, लेकिन यहां तो ज्यादातर स्कूलों में पारा शिक्षक ही प्रभारी प्रधानाध्यापक के पद पर विराजमान हैं।
बीईईओ पर तय है कार्रवाई
किसी भी स्कूहल में सरकारी शिक्षक के रहते अगर पारा शिक्षक प्रभारी प्रधानाध्यापक बनाया गया तो संबंधित प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी के विरुद्ध अनुशासनिक कार्रवाई की जाएगी, पर असल में कुछ होता नहीं है।
इतना ही नहीं, पिछले 3-4 वर्षों से एक शिक्षक अपने मूल विद्यालय से दूसरे विद्यालय में प्रतिनियोजन करवाकर काम कर रहा हैं। शिक्षा निदेशक के आदेश के बाद भी इनका प्रतिनियोजन बरकरार ही है।
आधा दर्जन से ज्यादा स्कूलों में ताक पर नियम
बता दें कि उत्क्रमित मध्य विद्यालय बाउरी टोला में सरकारी शिक्षक सुनील कुमार पदस्थापित हैं।
जबकि पिछले 4 सालों से पारा शिक्षक लीलू बाउरी प्रभारी प्रधानाध्यापक के रूप में कार्यरत हैं। वहीं, उत्क्रमित मध्य विद्यालय बाजूडीह में चार महीने पहले सरकारी शिक्षक का निधन हो गया।
उसके बाद एक पारा शिक्षक को उत्क्रमित मध्य विद्यालय मोदीडीह में पदस्थापित कर प्रभारी प्रधानाध्यापक बना दिया गया। इधर, उत्क्रमित मध्य विद्यालय डाबर बहाल में रीना राय सरकारी शिक्षिका हैं।
लेकिन यहां पारा शिक्षक धनेश्वर महतो प्रभारी प्रधानाध्यापक के रूप में कार्यरत हैं।
उत्क्रमित मध्य विद्यालय सिंहडीह में मनोरमा सरकारी शिक्षिका हैं।
लेकिन पारा शिक्षक कन्हाई लाल महतो को प्रभारी प्रधानाध्यापक बनाया गया है। ऐसा ही एक मामला उत्क्रमित मध्य विद्यालय गिरधर टांड़ का भी है।
क्षेत्र शिक्षा पदाधिकारी का कुछ भी बोलने से इनकार
डीएसई ने एक आदेश निकालकर सभी क्षेत्र शिक्षा पदाधिकारी से कहा है कि वे रिपोर्ट देंगे कि स्कूल में सरकारी शिक्षक के रहते पारा शिक्षक प्रभार में हैं या नहीं।
इसके बावजूद इस संदर्भ में चास के क्षेत्र शिक्षा पदाधिकारी अनीता पूर्ति से पूछे जाने पर उन्होंने इस पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया है।