रांची: एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा की राज्य इकाई के सदस्य प्रद्युम्न कुमार सिंह (सिंटू) ने राज्य के पारा शिक्षकों को संबोधित एक बयान जारी किया है।
इसमें उन्होंने कहा है कि 11 दिसंबर 2021 का दिन पारा शिक्षकों के लिए निराशा भरा रहा, क्योंकि पारा शिक्षकों को इस सरकार से बहुत आशा थी। उन्होने कहा, “इस तथाकथित अपनी सरकार से इतने बड़े धोखे की उम्मीद नहीं थी।”
सिंह ने कहा, “मानदेय वृद्धि का चारा जरूर फेंका है सरकार ने, क्योंकि सरकार हमारी कमजोरी जानती है।
सरकार जानती है कि 12 हजार रुपये से 15 हजार रुपये प्रतिमाह में अपने पूरे परिवार का भरण-पोषण करनेवाले पारा शिक्षकों को 16 हजार 800 रुपये से 22 हजार 500 रुपये प्रतिमाह देने का लालच भावनात्मक ब्लैकमेलिंग कारगर साबित हो जायेगा।
माना कि हम कष्ट में जीवन गुजार रहे हैं, मानदेय की बढ़ोतरी हमारे कष्टों को आंशिक रूप से कम कर सकती है, लेकिन कितने दिनों के लिए?”
सिंह ने कहा कि प्रस्तावित नियमावली में सरकार द्वारा एक प्रावधान ऐसा जोड़ दिया गया है, जो पता नहीं कब पारा शिक्षकों का पत्ता ही साफ कर दे। भारत सरकार ने वित्त पोषण बंद किया और पारा शिक्षकों का पत्ता साफ।
उन्होंने कहा, “कुछ दुष्ट प्रवृत्ति के पारा शिक्षक प्रतिनिधि सोच रहे हैं कि हमने टेट पास पारा शिक्षकों को वेतनमान नहीं लेने दिया। लेकिन, ऐसे लोग प्रशिक्षित भाइयों-बहनों को यह भी नहीं बता रहे हैं कि वेतनमान की परिकल्पना को ही दफन कर दिया है।”
उन्होंने कहा, “कुछ लोग उस भूमिका में हैं, जिसमें लोग उसी पेड़ की डाली को काटते हैं, जिस पर वे बैठे रहते हैं।
यह नियमावली नहीं, बल्कि मानदेय वृद्धि का पत्र है और इसके लिए कैबिनेट नहीं, जेईपीसी की कार्यकारिणी ही काफी है। 30 से 50 प्रतिशत मानदेय वृद्धि का फिगर बड़ा जरूर लगता है, लेकिन यह तीन वर्षों बाद की बढ़ोतरी है, जो वार्षिक वृद्धि के दृष्टिकोण से 10 से 17 प्रतिशत प्रतिवर्ष ही है। अल्प समय, क्षणभंगुर मानदेय वृद्धि हमारे भविष्य को अंधेरा करके छोड़ेगा।”
सिंह ने पारा शिक्षकों से कहा, “हेमंत सोरेन वेतनमान का वादा करके आये हैं। मंत्री की अध्यक्षतावाली कमिटी और सरकार के महाधिवक्ता ने भी वेतनमान की अनुशंसा की है।
बिहार मॉडल आधारित नियमावली रातोंरात गायब कर बेकार कागज का टुकड़ा परोस दिया गया। मत स्वीकारिये इसे। प्रतिकार कीजिये और खुद को बेहतर भविष्य के लिए तैयार करिये। मैं इससे बिल्कुल सहमत नहीं हूं।”
उन्होंने कहा, “18 वर्षों के संघर्ष का इस सरकार से ऐसा परिणाम मिलेगा, हमने यह सोचा भी नहीं था। मैं प्रद्युम्न कुमार सिंह (सिंटू) टूटे हुए पैर के साथ 29 दिसंबर को रांची के मोरहाबादी मैदान में विरोध करूंगा।
यह सरकार होटवार भेजेगी, तो जाऊंगा, लेकिन अपने भविष्य को बेहतर बनाने के लिए लड़ूंगा। आप सब भी निर्णय कीजिये।”