रांची: हम आंदोलन की ताकत से स्थायीकरण और वेतनमान लेंगे। सरकार नियमावली को जल्द लागू करे, अन्यथा वह पारा शिक्षकों के हुजूम का सामने करने को तैयार रहे।
राज्य के सभी 65 हजार पारा शिक्षकों ने अपनी एकता से सत्ता के नशे में चूर रघुवर सरकार का सर्वनाश किया और शहीद हुए साथियों की कुर्बानी तथा जेल गये साथियों की यातना का बदला लिया।
हम इतनी आसानी से हार नहीं मानेंगे। पारा शिक्षकों के स्थायीकरण और वेतनमान के वादे के साथ सरकार में आये मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से आंदोलन के बलबूते लड़कर हम अपना अधिकार लेंगे। यह कहना है एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा की राज्य इकाई का।
एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा की राज्य इकाई के बिनोद बिहारी महतो, संजय कुमार दुबे, हृषिकेश पाठक, प्रमोद कुमार, दशरथ ठाकुर, मोहन मंडल, प्रद्युम्न कुमार सिंह (सिंटू) ने एक संयुक्त बयान जारी कर कहा है कि जरूरत पड़ी, तो पारा शिक्षक सभी विभागीय कार्यों सहित पंचायत चुनाव में प्रतिनियुक्ति का भी विरोध करेंगे। इसके लिए राज्य के सभी पारा शिक्षक कमर कसकर तैयार हो जायें।
उन्होंने कहा कि संघर्ष में ताकत है और एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा का विजन भी क्लियर है। मोर्चा गठन के बाद राज्य के सभी चारों संगठन ने मिलकर हुंकार भरी।
पदयात्रा से शुरू हुआ सफर और 15 नवंबर के खौफनाक मंजर ने रघुवर सरकार को घुटने टेकने को मजबूर किया और पहली बार कोई सरकार यह कहती नजर आयी कि हां पारा शिक्षकों का स्थायीकरण भी होगा और वेतनमान भी मिलेगा।
उन्होंने कहा, “हम किसी राजनीतिक दल के कार्यकर्ता नहीं, बल्कि हम पारा शिक्षक संगठन के सिपाही हैं।
तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने हमारा काम नहीं किया, हमें प्रताड़ित किया, पारा शिक्षकों की बलि ली, तो हमने जोरदार प्रतिकार किया।
बिना डरे काला झंडा दिखाया। अब जरूरत पड़ी, तो पुनः यलगार होगा। जेल जाने को हम पुनः तैयार हैं।
उन्होंने कहा कि 31 अक्टूबर 2021 को शिक्षा मंत्री के विधानसभा क्षेत्र के पारा शिक्षक साथियों द्वारा मंत्री के पैतृक आवास पर संघर्ष के आगाज में मोर्चा की राज्य इकाई के सदस्य भी शामिल होंगे और हक की लड़ाई को अंजाम तक पहुंचाने का संकल्प लेंगे।