नई दिल्ली : “अगर आप कामयाब होना चाहते हैं, तो आपके अंदर कामयाबी का जुनून होना चाहिए।
आपका जुनून आपसे वो सब करवाता है, जिसे आप करने के बारे में कभी सोच भी नहीं सकते।” यह विचार माउंट एवरेस्ट विजेता मेघा परमार ने शुक्रवार को भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) द्वारा आयोजित कार्यक्रम ‘शुक्रवार संवाद’ में व्यक्त किए।
इस अवसर पर आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी एवं अपर महानिदेशक के. सतीश नंबूदिरीपाड भी मौजूद थे।
‘माउंट एवरेस्ट की मेरी यात्रा’ विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए सुश्री परमार ने कहा कि आप जो कुछ भी करना या बनना चाहते हैं, उसके लिए लक्ष्य तय करना चाहिए।
अपने पहले प्रयास में माउंट एवरेस्ट विजय से महज 700 मीटर पहले ही चूक गईं मेघा परमार ने कहा कि असफलता से हताशा तो आती है, लेकिन समाज में कई लोग आपका हौसला बढ़ाते हैं।
ट्रेनिंग के दौरान चोटिल होने के बाद अपनी रीढ़ की हड्डी का ऑपरेशन करा चुकी मेघा परमार ने हार नहीं मानी और 22 मई 2019 को सुबह 5 बजे वह भारत के राष्ट्रीय ध्वज के साथ एवरेस्ट पर जा पहुंची।
सुश्री परमार ने कहा कि आपको अपनी फिजिकल फिटनेस के लिए रोज कड़ा परिश्रम और मानसिक फिटनेस के लिए योग और प्राणायाम करना चाहिए।
मेघा परमार ने कहा कि एवरेस्ट यात्रा के दौरान पीने के लिए हमेशा पानी नहीं मिल पाता। हर समय अंदर से शरीर टूटता है। सांस नहीं ली जाती। सीढ़ियां पार करते समय, जब वो हिलती हैं तो पैर कांपते हैं। उस समय खुद की हिम्मत बढ़ानी होती है कि रुको मत, ये भी हो जाएगा।
मेघा ने एवरेस्ट यात्रा की घटनाओं का सजीव वर्णन करते हुए बताया कि किस तरह एक पर्वतारोही को यात्रा के दौरान मरे हुए लोगों की लाशों से गुजरना पड़ता है।
उन्होंने कहा कि हम जब हाई एल्टीट्यूड पर पहुंचते हैं, तो वहां ऑक्सीजन बहुत कम होती है। इसलिए जीवन के लिए प्यार से ज्यादा जरूरी ऑक्सीजन है और हम सब को इसके लिए पेड़ जरूर लगाने चाहिए।
मेघा ने कहा कि जब मैं जिंदगी और मौत के बीच में थी, तो खुद से दो वादे किए थे। एक तो यह कि मैं बहुत सारे पौधे लगाऊंगी और दूसरा यह कि लोगों की हरसंभव मदद करूंगी।
कार्यक्रम का संचालन प्रो. प्रमोद कुमार ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन प्रो. संगीता प्रणवेंद्र ने किया।