पटना: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के प्रमुख जीतन राम मांझी का ब्राह्मणों को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद राज्य की सियासत गर्म है।
मांझी ने इस बयान को लेकर उठे विवाद के बाद माफी मांगते हुए स्पष्ट किया कि वे ब्राह्मण नहीं ब्राह्मणवाद के खिलाफ हैं। ऐसा नहीं कि मांझी कोई पहली बार अपने बयानों को लेकर घिरे हैं। इसके पहले भी मांझी अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहते आए हैं।
बिहार के गया जिले से आने वाले मांझी की पार्टी हम फिलहाल बिहार में सत्ताधारी गठबंधन राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में शामिल है।
मांझी ने पिछले दिनों भगवान राम को ही काल्पनिक पुरूष बता दिया था। उन्होंने कहा कि रामायण एक अच्छी पुस्तक बताते हुए कहा कि रामायण में कई अच्छी बातें लिखी हुई हैं, जिसका अनुसरण करना चाहिए।
मांझी ने कांग्रेस के राहुल गांधी, राजद के तेजस्वी यादव और सांसद चिराग पासवान को लेकर भी आपत्तिजनक टिप्पणी कर चुके हैं।
मांझी ने राहुल गांधी, तेजस्वी यादव और चिराग पासवान पर बयान देते हुए कहा था कि जब भी देश या बिहार में किसी प्रकार का संकट आता है देश के ये तीनों नेता हनीमून मनाने के लिए चले जाते हैं।
मांझी कुछ वर्ष पहले बिहार से अन्य प्रदेशों में रोजी रोजगार के लिए जाने वाली महिलाओं को लेकर भी विवादित टिप्पणी कर चुके हैं।
शराबबंदी वाले बिहार की सरकार में शामिल हम के प्रमुख मांझी ने पिछले दिनों एक कार्यक्रम में शराबबंदी के कार्यान्वयन पर सवाल उठाते हुए यहां तक कहा था कि शराबबंदी के नाम पर गरीबों को प्रताड़ित किया जा रहा है।
उन्होंने गरीबों से रात के 10 बजे के बाद शराब पीने की बात की थी।
मांझी ने कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज लेने के बाद मिलने वाले सर्टिफिकेट पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तस्वीर पर भी सवाल उठा चुके हैे।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2014 में नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद मांझी मुख्यमंत्री बने थे। मुख्यमंत्री बनने के बाद जीतन राम मांझी ने कई अच्छे फैसले लिए, लेकिन कई फैसलों पर विवाद भी हुआ। उनके बयान को लेकर भी खासा विवाद हुआ, जिसके बाद नीतीश उन्हें हटाकर फिर से मुख्यमंत्री बन गए।
इसके बाद मांझी ने जदयू से अलग होकर हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा पार्टी बना ली।