पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से नाराज होकर बगावत कर अन्य पार्टियों में जाने वाले नेताओं की घर वापसी तेज हो गई है।
पिछले चुनाव में लोजपा का दामन थामकर चुनाव मैदान में उतरे दिग्गज नेता राजेंद्र सिंह के बाद पूर्व विधायक उषा विद्यार्थी ने भी फिर से भाजपा का दामन थाम लिया।
लोजपा ने अपने प्रत्याशी ज्यादा वैसे क्षेत्रों से चुनाव मैदान में उतारे थे, जहां की सीटें राजग में जदयू के हिस्से आई थीं।
भले ही बागी उम्मीदवार सफल नहीं हो पाए लेकिन जदयू के उम्मीदवारों की हार की वजह जरूर बन गए थे, अब ऐसे नेताओं की वापसी तेज हुई है।
पूर्व विधायक उषा विद्यार्थी को भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने बुधवार को फिर से भाजपा की सदस्यता दिलवाई।
उषा विद्यार्थी भी इसे पुराने घर में लौटना जैसी ही बताती हैं।
वैसे, इन नेताओं की फिर से पार्टी में वापसी पर जदयू अभी तक ज्यादा खुलकर नहीं बोल रही है, लेकिन दर्द जरूर छलक रहा है।
विधानसभा चुनाव में जदयू ने कम सीट लाने का ठीकरा लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) को चुनाव मैदान में उतरने पर फोड़कर सफाई देती रही।
उस समय कहा जा रहा था कि लोजपा ने कई भाजपा नेताओं को अपनी तरफ लाकर चुनाव मैदान में उतार दी, जिससे जदयू के उम्मीदवारों की हार हुई। ऐसे में सबसे ज्यादा चर्चा राजेंद्र सिंह और रामेश्वर चौरसिया को लेकर हुई थी।
कहा जा रहा था कि जदयू ने भाजपा पर ऐसे नेताओं को फिर से अपनी पार्टी में शामिल करने पर तक की रोक लगा दी थी, लेकिन एक साल तक ऐसे नेताओं को लेकर खामोश रही भाजपा ने पहले राजेंद्र सिंह को और अब उषा विद्यार्थी को पार्टी में वापस शामिल करा लिया।
जदयू के एक नेता ने नाम प्राकशित करने की शर्त पर कहते हैं कि यह गठबंधन धर्म के विपरीत आचरण है। उन्होंने तो यहां तक कहा कि यह तो चुनाव में ही स्पष्ट दिखाई दे रहा था। अब सबके सामने है।
माना जा रहा है कि कई ऐसे नेता अभी और है, जो जल्द ही फिर से भाजपा में शामिल होंगे।
वैसे, कहा जा रहा है कि जदयू भले ही अभी तक खुलकर कुछ नहीं बोल रही हो, लेकिन पार्टी में हलचल तेज है।
बिहार भाजपा के अध्यक्ष संजय जायसवाल भी कहते हैं कि कई लोग टिकट नहीं मिलने की वजह से पार्टी लाइन के खिलाफ स्टैंड लेते हुए पार्टी छोड़ कर चले गए थे, लेकिन अब उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ है। ये लगातार पार्टी में आने का अनुरोध कर रहे थे।