पटना: गांधी मैदान में 27 अक्टूबर 2013 को रैली में हुए सीरियल ब्लास्ट मामले में NIA कोर्ट ने सोमवार को फैसला सुनाया। कोर्ट ने 4 दोषियों को फांसी की सजा सुनाई गई है।
इसके अलावा दो को उम्रकैद, दो को 10 साल और एक दोषियों को 7 साल की सजा सुनाई है। गौरतलब है कि इस मामले में कोर्ट ने 27 अक्टूबर को कुल 10 आरोपियों में से 9 को दोषी करार दिया था जबकि एक को सबूतों के अभाव में रिहा कर दिया गया था। वहीं, रिहा हुए शख्स का नाम फकरुद्दीन है।
एनआईए कोर्ट ने दोषियों को (इम्तियाज अंसारी, हैदर अली उर्फ ब्लैक ब्यूटी, नोमान अंसारी, मुजीबुल्लाह अंसारी) फांसी की सजा सुनाई है। वहीं दो दोषियों (उमर सिद्दकी, अजहरुद्दीन) को उम्रकैद और दो (अहमद हुसैन, फिरोज असलम) को 10 साल की सुनाई है। इसके अलावा एक दोषी (इफ्तेखर आलम) को सात वर्ष की सजा सुनाई गई है।
गांधी मैदान और पटना जंक्शन पर सीरियल बम ब्लास्ट 27 अक्टूबर 2013 को हुआ था। इस घटना में छह लोगों की मौत हो गई थी और 89 लोग घायल हुए थे। आठ साल बाद इस मामले में फैसला आया है।
बता दें कि बुधवार को कोर्ट ने मुख्य छह आरोपित को देशद्रोह, आपराधिक साजिश, हत्या, हत्या का प्रयास, यूएपीए एक्ट की धारा में दोषी करार दिया था। अन्य तीन दोषी पाए गए। एक को कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया।
रांची और रायपुर में रची गई थी साजिश
नरेंद्र मोदी की हुंकार रैली के दौरान गांधी मैदान सीरियल बम ब्लास्ट की साजिश रांची और रायपुर में रची गई थी। इसका रिहर्सल भी किया था।
बोधगया में सात जुलाई 2013 को ब्लास्ट के बाद ही पटना के गांधी मैदान में ब्लास्ट की योजना इंडियन मुजाहिद्दीन के जिहादियों ने बनाई थी। बोधगया ब्लास्ट का मास्टरमाइंड हैदर अली और मोजिबुल्लाह थे। बोधगया बम ब्लास्ट में हैदर ने बौद्धभिक्षु बनकर बम प्लांट किये थे। इसके बाद गांधी मैदान में मोदी की रैली में ब्लास्ट को अंजाम देने के लिए आतंकियों ने विस्फोटक पदार्थ का जुगाड़ कर रांची में जमा किया।
घटना को अंजाम देने के लिए आठ आतंकी सुबह में ही बस के जरिए रांची से पटना पहुंचे थे। अपनी योजना के अनुसार अलग-अलग होकर काम करने लगे। इस बीच पटना जंक्शन के प्लेटफार्म नंबर दस के शौचालय में मानव बम बनते समय एक विस्फोट हो गया। इसमें एक आतंकी की मौत हो गई थी। पटना जंक्शन पर ब्लास्ट करते समय पकड़े गए मो. इम्तियाज से पूछताछ में रांची से तार जुड़े मिले।
इसके बाद एनआईए ने रांची के हिंदपीढ़ी और सीठियो में छापेमारी की थी। इसके अलावा रायपुर में भी आरोपितों ने प्रशिक्षण लिया था। रायपुर से ही उमर सिद्दकी और अजहरूद्दीन की गिरफ्तारी हुई थी। यही पर नरेंद्र मोदी को निशाना बनाकर विस्फोट करने की योजना बनी थी। रांची में इसे अंजाम देने की कार्ययोजना बनी।
रांची से नुमान और तौकीर को पलामू से NIA ने किया था गिरफ्तार
गांधी मैदान सीरियल बम ब्लास्ट और बोधगया ब्लास्ट मामले का मुख्य साजिकर्ता आतंकी मो. हैदर को रांची मॉड्यूल का इंचार्ज बनाया गया था। उसे ही जवाबदेही दी गयी थी कि वह कुछ और युवकों को जोड़कर मॉड्यूल तैयार करे।
हैदर इस सिलसिले में तेजी से काम कर रहा था। 24 मई 2014 को हैदर, मजबुल्ला रांची से नुमान और तौकीर को पलामू से पकड़ा गया था। रिमांड पर लिए गए हैदर और मजबुल्ला से जब पूछताछ की गयी तो इन सबों ने बड़े खुलासे किए। इसके बाद ही एनआईए की टीम दोनों को लेकर रांची पहुंची। उसी की निशानदेही पर बम बरामद हुए और कर्बला इलाके में पड़े छापा में एक व्यक्ति के यहां से सर्किट मिला था।
कांड का मास्टरमाइंड हैदर अली उर्फ ब्लैक ब्यूटी और मोजिबुल्लाह था। इन समेत दस के खिलाफ एनआईए कोर्ट में चार्जशीट दायर की गई थी। सभी को बेऊर जेल में कड़ी सुरक्षा में रखा गया था।
यह सीरियल बम ब्लास्ट तब हुए थे जब वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 27 अक्टूबर 2013 को पटना के गांधी मैदान में बीजेपी की हुंकार रैली को संबोधित करने के लिए पहुंचे थे। घटना में 6 लोगों की मौत हो गई थी और 89 लोग घायल हुए थे।
इस मामले की जांच एनआईए की टीम ने की है। धमाके की अंतरराज्यीय साजिश रची गयी थी। छत्तीसगढ़ के रायपुर में धमाके की पूरी साजिश रची गयी थी जबकि बम बनाने का सामान झारखंड में जुटाया गया था। मामले में रायपुर से 3 आतंकियों की गिरफ्तारी भी की गई थी।