पटना: बिहार के पंचायत चुनाव में नई तकनीक का इस्तेमाल अन्य राज्यों को भी भा रहा है। कई राज्य निर्वाचन आयोग के अधिकारी इस तकनीक को जानने के लिए बिहार का दौरा भी कर चुके हैं।
इस पंचायत चुनाव में बायोमीट्रिक का प्रयोग हो या फिर ओसीआर या ईवीएम से मतदान दूसरे राज्यों को भी पसंद आ रहा है।
बिहार के पंचायत चुनाव में बोगस मतदान को रोकना प्रारंभ से ही राज्य निर्वाचन आयोग के लिए चुनौती रहा है।
ऐसे में राज्य निर्वाचन आयोग ने पंचायत चुनाव में पहली बार बायोमीट्रिक मशीनों का सहारा लिया गया। मतदाताओं के सत्यापन के लिए बूथों पर बायोमीट्रिक मशीनें लगाई गईं।
इसके अलावा तीन पदों के लिए पहली बार ईवीएम से चुनाव कराए गए। इससे मतगणना के दौरान मतगणनाकर्मियों को काफी सहूलियत मिली।
भाजपा के नेता और राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी भी कहते हैं कि बिहार राज्य निर्वाचन आयोग ने इस बार पंचायत चुनाव में मतदाताओं के बायोमीट्रिक सत्यापन और ईवीएम मशीन के साथ मतगणना में ओसीआर तकनीक का जो प्रयोग किया,
उससे बोगस वोटिंग रोकने और न्यूनतम समय में चुनाव परिणाम की घोषणा करने में बड़ी कामयाबी मिली है।
उन्होंने कहा कि संसद की विधि, न्याय, कार्मिक एवं लोक शिकायत मामलों की स्थायी समिति के अध्यक्ष के नाते मैं बिहार निर्वाचन आयोग के अधिकारियों को संसदीय समिति के समक्ष नये मतदान प्रयोग की प्रस्तुति देने के लिए आमंत्रित करूंगा।
उसके बाद स्थायी समिति इस संबंध में अपना प्रतिवेदन संसद के पटल पर रखेगी।
बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा कि कई राज्यों के निर्वाचन अधिकारी इस प्रयोग को देखने के लिए बिहार आ चुके हैं।
मोदी ने अपने अधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर लिखा, तेलंगाना, गुजरात, पुडुचेरी, हरियाणा और दिल्ली के निर्वाचन अधिकारी पंचायत चुनाव में बिहार के अभिनव प्रयोग का अध्ययन करने यहां आ चुके हैं।
उन्होंने कहा कि इस तरह मतदान कराने से फर्जी वोटर 15 फीसदी तक बाहर हो गए और वास्तविक मतदान औसतन 62 फीसदी रहा। यह प्रयोग भविष्य के चुनावों में अपनाया जा सकता है।