नई दिल्ली/श्रीनगर: पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी), जो भाजपा के साथ गठबंधन में तत्कालीन राज्य जम्मू-कश्मीर में सत्ता में थी, घाटी में अलगाववादी गतिविधियों को बनाए रखने के लिए हुर्रियत कॉन्फ्रेंस में पैसा लगा रही थी।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के निलंबित डीएसपी दविंदर सिंह और हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादी नवीद बाबू से संबंधित मामले की जांच में यह बात सामने आई है।
पीडीपी ने 1 मार्च, 2015 को भाजपा के साथ गठबंधन करके जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाई थी।
मुफ्ती मोहम्मद सईद मुख्यमंत्री बने थे। 7 जनवरी, 2016 को सईद के निधन हो जाने के बाद, उनकी बेटी महबूबा मुफ्ती ने 4 अप्रैल, 2016 को मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। हालांकि, भाजपा 19 जून, 2018 को गठबंधन से अलग हो गई।
22 मार्च को एनआईए ने गिरफ्तार किए गए पीडीपी युवा विंग के प्रमुख वहीद-उर-रहमान पार्रा सहित तीन लोगों के खिलाफ एक पूरक आरोप पत्र दायर किया था, जिसमें दो गनर- शाहीन अहमद लोन और तफजुल हुसैन परिमू शामिल थे।
इन पर कथित रूप से हिजबुल मुजाहिदीन के लिए एक फाइनेंसर के रूप में काम करने का आरोप है।
एनआईए ने अपनी चार्जशीट में, जिसे आईएएनएस द्वारा देखा गया है, ने दावा किया, पार्रा ने ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस (एपीएचसी) के अलगाववादी नेता अल्ताफ अहमद शाह उर्फ अल्ताफ फंटूश, को 5 करोड़ रुपये दिए, जिसका नाम टेरर-फंडिंग मामले में एनआईए की चार्जशीट में था।
इसका मकसद हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद कश्मीर घाटी में अशांति को बनाए रखना था।
हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी का दामाद अल्ताफ अहमद शाह वर्तमान में जेल में टेरर फंडिंग के मामले में तिहाड़ जेल में बंद है।
चार्जशीट में, एनआईए ने कहा, 5 करोड़ रुपये की राशि पार्रा ने पीडीपी की ओर से हुर्रियत कॉन्फ्रेंस को अलगाववादी गतिविधियों को बनाए रखने के लिए दी थी।
आरोप पत्र में यह भी दावा किया गया है कि अल्ताफ अहमद शाह, पार्रा का करीबी सहयोगी था और सुरक्षाबलों द्वारा बुरहान वानी को मारे जाने के बाद घाटी में उथल-पुथल के दौरान पार्रा के सात लगातार संपर्क में था।
पार्रा को पिछले साल अक्टूबर में एनआईए ने गिरफ्तार किया था।
उन्होंने हाल ही में जम्मू-कश्मीर में जिला विकास परिषद के चुनावों में जीत हासिल की थी।
अधिकारी ने कहा कि पार्रा टेरर हार्डवेयर की खरीद के लिए हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादियों के लिए धन जुटाने और ट्रांसफर करने के लिए साजिश का हिस्सा था और जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक-अलगाववादी-आतंकवादी सांठगांठ को बनाए रखने में भी एक महत्वपूर्ण कड़ी था।
दक्षिणी कश्मीर में पीडीपी के प्रभाव को बढ़ाने में विशेष रूप से उग्रवाद प्रभावित पुलवामा जिले में पार्रा का योगदान था।
एनआईए ने यह भी आरोप लगाया है कि हिजबुल मुजाहिदीन के लिए धन जुटाने के लिए आरोपी इरफान शफी मीर, दविंदर सिंह और सैयद नवीद मुश्ताक के साथ पार्रा ने कश्मीर घाटी में आतंकवादी गतिविधियों को बनाए रखने के लिए हथियारों और गोला-बारूद की खरीद को लेकर धन जुटाने के लिए साजिश रची थी।