देहरादून: उत्तराखंड (Uttarakhand) में इन दिनों लगातार भूकंप (Uttarakhand Earthquake) के झटके महसूस किए जा रहे हैं। शनिवार को प्रदेश में फिर दो बार भूकंप के झटके (Tremors) महसूस किए गए।
शाम 4 बजकर 25 मिनट पर आए भूकंप (Earthquake) की तीव्रता रिक्टर पैमाने में 3.4 दर्ज की गई। वहीं शाम 7 बजकर 57 मिनट पर आए भूकंप की तीव्रता 5.4 रही। हफ्तेभर में यह पांचवीं बार प्रदेश की धरती कांपी है।
राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (National Center for Seismology) के अनुसार, शाम 7 बजकर 57 मिनट पर आए भूकंप की तीव्रता 5.4 रही।
हालांकि इसका केंद्र नेपाल (Nepal) में रहा, लेकिन उत्तर भारत के कई क्षेत्रों समेत उत्तराखंड में देहरादून, अल्मोड़ा, चमोली, रामनगर और उत्तरकाशी में भी भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए हैं।
वहीं आज शाम करीब 4 बजकर 25 मिनट पर उत्तराखंड में भूकंप (Earthquake) आया। इसका अभिकेंद्र पौड़ी जनपद में रहा, जबकि भूकंप का केंद्र धरातल से 5 किलोमीटर की गहराई में था।
रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 3.4 मैग्नीट्यूड रही। हालांकि, भूकंप से किसी तरह के नुकसान की कोई खबर नहीं है। लेकिन नियमित अंतराल पर लगातार भूकंप के झटकों से लोग दहशत में हैं।
इससे पहले उत्तराखंड में कई जगह रविवार 6 नवंबर की सुबह 8 बजकर 33 मिनट पर भूकंप (Earthquake) के झटके महसूस किए गए, जिसके तीव्रता 4.7 रिक्टर रही। इसका केंद्र चिन्यालीसौंड से 35 किमी दूर बताया गया।
इसके बाद बीती मंगलवार की आधी रात करीब 1.58 बजे भूकंप के झटके महसूस किए गए, यह झटका इतना तेज था कि, लोग नींद में घरों बाहर भागे। भूकंप की तिव्रता रिक्टर स्केल पर 6.5 थी। इसका केंद्र नेपाल के कुलखेती में रहा।
इससे पहले, बुधवार की सुबह भी भूकंप के झटके महसूस होने से लोग दहशत में आ गए थे। सुबह करीब 6 बजकर 27 मिनट पर पिथौरागढ़ जनपद में आए भूकंप की तीव्रता 4.3 मैग्नीट्यूड रही।
भूकंप के लिहाज से बेहद संवेदनशील है उत्तराखंड :
उत्तराखंड भूकंप के लिहाज से बेहद संवेदनशील जोन में आता है। प्रदेश Seismic Zone-4 में आता है। सेंट्रल सिस्मिक गैप कहे जाने वाले उत्तराखंड में वैज्ञानिकों ने बड़े भूकंप की आशंका जताई है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि, पिछले लंबे समय से हिमालय क्षेत्र के इस हिस्से में कोई बड़ा भूकंप नहीं आया है।
इस वजह से उत्तर पश्चिमी हिमालय रीजन में जितनी भूकंपीय ऊर्जा (Seismic Energy) भूगर्भ में इकट्ठी हुई है, उसकी केवल 3 से 5 फीसदी ऊर्जा ही बाहर निकल पायी है। यही वजह है कि वैज्ञानिक इस बात की आशंका जता रहे हैं कि भूकंप आ सकता है।
भूगर्भ वैज्ञानिकों ने बड़े भूकंप को लेकर चेताया :
नेपाल और उत्तराखंड में आए भूकंप का अध्ययन करने के बाद भूगर्भ वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि अभी भी नेपाल से लेकर हिमाचल के बीच एक ऐसा इलाका है, जहां पर बड़े पैमाने पर एनर्जी रिलीज नहीं हो पाई है।
यह एनर्जी कभी भी विस्फोटक (Explosiv) रूप से ले सकती है। जैसे ही यह रिलीज होगी, उत्तर भारत को भूकंप का एक बड़ा झटका झेलना पड़ सकता है। यह भूंकप रिक्टर स्केल पर आठ तीव्रता का भी हो सकता है। तमाम भूवैज्ञानिकों ने इस संबंध में चेताया है।
वाडिया इंस्टीट्यूट के भूवैज्ञानिक डॉ. अजय पाल (Dr. Ajay Pal) के मुताबिक, पिछले कई सालों में इस हिमालयी क्षेत्र जिसमें हिमाचल उत्तराखंड आता है, वहां पर मैग्नेट रूप से ऊपर का भूकंप नहीं आया।
उनका मानना है कि आने वाले समय में इस क्षेत्र में 7 से 8 रिक्टर स्केल का बड़ा भूकंप आ सकता है। बीते 10 सालों में उत्तराखंड में 700 भूकंप रिकॉर्ड किए गए हैं।
गनीमत रही कि, यह सभी भूकंप 4 रिक्टर स्केल तीव्रता से नीचे के हैं। हालांकि उन्होंने कहा कि इसका यह मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए कि यहां केवल छोटे भूकंप ही आते हैं और बड़ा भूकंप नहीं आ सकता।
उन्होंने बताया कि छोटे भूकंप से नाममात्र की धरती के अंदर एनर्जी रिलीज (Energy Release) होती है। लेकिन इस समय स्थिति कुछ अलग ही है। इस बार बड़ी मात्रा में एनर्जी जमा हुई है, यह एनर्जी एक बड़े भूकंप का कारण हो सकती है।