रांची: झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस राजेश शंकर की अदालत में बीआइटी मेसरा की ओर से जमीन नापी की कार्रवाई के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई।
सुनवाई के बाद अदालत ने कांके अंचल के रूदिया गांव की जमीन में बीआइटी मेसरा की ओर से की जा रही मापी पर रोक लगाते हुए यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया है।
अदालत ने इस मामले में वादियों को कांके के अंचलाधिकारी के पास आवेदन देने को कहा है।
साथ ही अंचलाधिकारी को तीन माह में वादियों के दावे की जांच कर उचित आदेश पास करने को कहा है।
इसे लेकर करमू मुंडा एवं अन्य की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है।
याचिका में कहा गया है कि बीआइटी मेसरा ने अपनी वेबसाइट पर आम सूचना जारी की है।
इसमें कहा गया है कि उनकी ओर से रूदिया गांव की 456.62 एकड़ जमीन अधिग्रहित की गई है।
इसके बाद अक्टूबर माह में जमीन के मापी की कार्रवाई शुरू कर दी गई।
इसके खिलाफ रुदिया गांव के लोगों ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर नापी का विरोध किया।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील निरंजन कुमार ने अदालत को बताया कि बीआइटी मेसरा जिस जमीन की मापी कर रहा है, वह रुदिया गांव के लोगों की रैयती जमीन है।
कई वर्षों से इनके पूर्वज यहां रह रहे हैं।
बीआइटी मेसरा के पास अधिग्रहण के कागजात भी नहीं है। ऐसे में बीआइटी मेसरा का इस जमीन पर दावा गलत है।