नई दिल्ली: केंद्रीय बजट पेश होने के बाद 49.7 प्रतिशत लोगों को लगता है कि उनके भविष्य के खचरें का प्रबंधन करना मुश्किल हो जाएगा, जबकि 34 प्रतिशत लोगों को लगता है कि खर्च बढ़ जाएगा, लेकिन इसका प्रबंधन (मैनेज करना) हो जाएगा।
बजट पेश होने के बाद सोमवार को आईएएनएस सी-वोटर बजट इंस्टापोल में यह बात सामने आई।
सर्वेक्षण देश के विभिन्न हिस्सों में 1,200 से अधिक लोगों के बीच किया गया। संसद में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा केंद्रीय बजट के लाइव टेलीकास्ट के ठीक बाद सर्वे किया।
सर्वे से पता चला है कि नौ प्रतिशत लोग नहीं जानते कि वे अगले एक साल के दौरान किस तरह से अपना खर्चा निकाल पाएंगे।
इस साल के बजट के बाद सर्वेक्षण में शामिल 49.7 प्रतिशत लोगों को लगता है कि भविष्य के खचरें को प्रबंधित करना मुश्किल हो जाएगा।
सर्वेक्षण में कहा गया है कि पिछले साल की तुलना में इस तरह की सोच रखने वाले लोगों में 11.8 प्रतिशत की गिरावट आई है, क्योंकि तब 38 प्रतिशत लोगों ने कहा था कि भविष्य के खचरें को प्रबंधित करना मुश्किल हो जाएगा।
सर्वेक्षण में यह भी कहा गया है कि 34 प्रतिशत को लगता है कि खर्च बढ़ जाएगा, लेकिन इसे प्रबंधित किया जा सकेगा, जिसमें पिछले साल की तुलना में 10.7 प्रतिशत का परिवर्तन देखने को मिला।
वर्ष 2020-21 के केंद्रीय बजट के बाद 44.7 प्रतिशत लोगों ने महसूस किया था कि खर्च बढ़ेगा, लेकिन इसे मैनेज किया जा सकेगा।
सर्वे में शामिल 7.5 प्रतिशत लोगों ने महसूस किया कि दिन प्रतिदिन के खर्च में कमी आएगी, जो पिछले साल के बजट की तुलना में 1.9 प्रतिशत कम है।
सर्वेक्षण में कहा गया है कि 2014 का बजट, जो कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार द्वारा प्रस्तुत किया गया था, उसमें 42.1 प्रतिशत लोगों ने महसूस किया कि खर्च बढ़ जाएगा, लेकिन प्रबंधनीय रहेगा।
निष्कर्षो से पता चलता है कि 2014 में 20.4 प्रतिशत लोगों ने महसूस किया था कि उनके भविष्य के खचरें को प्रबंधित करना मुश्किल हो जाएगा, जबकि 23.1 प्रतिशत लोगों को लगता था कि उनके दिनभर के खर्च में कमी आएगी और उस समय 14.1 प्रतिशत लोगों ने इस संबंध में कोई टिप्पणी नहीं की थी।