नई दिल्ली: मासिक धर्म (Periods/ पीरियड्स) को लेकर लोगों में तमाम तरह की भ्रांतियां हैं, जबकि यह बीमारी नहीं। एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। जरूरत हैं इसमें स्वच्छता की क्योंकि स्वच्छता न अपनाने से महिलाएं सवाईकल कैंसर, प्रजनन रोग व अन्य इन्फेक्शन से गंभीर बीमार हो सकती हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार देश में 12 फीसदी महिलाएं ही सैनेटरी पैड्स का इस्तेमाल कर पाती हैं। 82 प्रतिशत महिलाएं आज भी पुराना कपड़ा अपना रहीं हैं। जो उनके लिए बेहद घातक है।
71 प्रतिशत युवतियों को अपने पहले मासिक धर्म के बारे में कोई जानकारी नहीं होती। मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता के तौर-तरीके न अपनाने 23 प्रतिशत महिलाएं सर्वाइकल कैंसर व अन्य रोगों की शिकार हो रहीं हैं। ग्रामीण इलाकों में 48 प्रतिशत महिलाएं ही सैनेटरी नैपकिन का इस्तेमाल कर रही हैं। उन्होंने कहा कि यह तथ्य डराने और हैरान करने वाले हैं।
बढ़ जाते हैं कैंसर होने के चांस
अगर आपका वेट लगातार बढ़ रहा है, शरीर पर अनचाहे बाल निकल रहे हैं, या पीरियड्स रेग्युलर नहीं है तो तुरंत सतर्क हो जाएं। यह PCOS (पॉलिसिसटिक ओवरी सिंड्रोम) बीमारी हो सकती है। इससे जहां महिलाओं में गर्भधारण करने की क्षमता 70 प्रतिशत तक कम होती जाती है। वहीं, कैंसर होने के चांस भी 10 प्रतिशत तक बढ़ जाते हैं। जानते हैं इसके बारे में…
यह प्रॉब्लम 80 प्रतिशत हॉर्मोन से जुड़ी
IVF एक्सपर्ट्स मानते हैं कि यह प्रॉब्लम 80 प्रतिशत हॉर्मोन से जुड़ी हुई है और 20 प्रतिशत हेरिडिटी से। इसमें महिला की ओवरी में एक हार्ड लेयर बन जाती है, जिससे ऑवेल्यूशन नहीं हो पाता। नतीजतन बॉडी में एंड्रोजेन और एलएच हॉर्मोन का लेवल बढ़ने लगता है। इसी वजह से कंसीव करने में दिक्कत आती है। PCOS की प्रॉब्लम होने पर पीरियड रेग्युलर नहीं होते और बॉडी फैट बढ़ता जाता है। इसमें एक समय बाद बीमारी पर कंट्रोल पाना खासा मुश्किल होता है, जिससे कई महिलाएं मेंटल टेंशन में आ जाती हैं।
कैंसर का खतरा
अगर इस पर समय रहते कंट्रोल न किया जाए, तो महिला कैंसर की चपेट में भी आ सकती है। PCOS प्रॉब्लम से जूझ रही महिलाओं की ओवरी में हॉर्मोन सामान्य से अधिक बनते हैं। इसकी वजह से अंडाणु सिस्ट या गांठ में तब्दील हो जाता है और कई बार कैंसर का रूप भी ले लेता है। ये सिस्ट छोटी-छोटी थैलीनुमा शेप में होती हैं, जिनमें लिक्विड भरा होता है। इनका शेप धीरे-धीरे बढ़ता जाता है।
पीरियड रेग्युलर नहीं
उन महिलाओं में यह बीमारी जल्दी अटैक करती है, जिनमें पीरियड्स रेग्युलर नहीं रहते। फेस, स्टमक और फिंगर्स जैसी जगहों पर अधिक बाल आने लगते हैं। इसके अलावा, स्किन ऑयली होती जाती है, बाल गिरने लगते हैं और फेस पर दाग धब्बे और मुंहासे हो जाते हैं। अगर समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो बच्चा न होना, डाइबीटीज और हाईकलेस्ट्रॉल की प्रॉब्लम हो सकती है।
यंग एज की लड़कियां भी चपेट में
3 से 5 फीसदी युवतियों में यह बीमारी पाई जाती है, तो महिलाओं में इसका प्रतिशत 8 से 10 है। बच्चा न होने की यह खास वजह होती है। 16 से 25 वर्ष की युवतियां इसकी ज्यादा चपेट में हैं। आमतौर पर यह प्रॉब्लम महिलाओं में 16 साल से लेकर 45 साल तक असर डालती है।
इलाज है आसान
PCOS के इलाज के लिए कई दवाएं हैं। ऑपरेशन से भी सिस्ट निकालकर बाहर किया जा सकता है। लेकिन अगर लाइफस्टाइल को ठीक रखा जाए, तो इस प्रॉब्लम से काफी हद तक छुटकारा मिल जाता है। वैसे, इस बीमारी की खास वजह फैट है। दरअसल, फैट बढ़ने से एस्ट्रोजन हॉर्मोन की मात्रा में तेजी से इजाफा होता है जो ओवरी में सिस्ट बनाने के लिए जिम्मेदार है।
बॉडी में दिखे चेंज
– बॉडी व फेस पर बालों का बढ़ना
– स्किन प्रॉब्लम्स मसलन, दाग-धब्बे, मुंहासे और ब्राउन धब्बे होना।
– पीरियड्स रेग्युलर न होना
– कंसीव न कर पाना।
इनका रखें ध्यान
– जरूरी है रेग्युलर एक्सरसाइज
– वेट को कंट्रोल करें
– स्ट्रेस से दूर रहें
– रूटीन को मैनेज करें
– आईवीएफ कंसल्टेंट से अडवाइस लें
मासिक धर्म को लेकर लोगों में गलतफहमियां
स्त्री रोग विशेषज्ञों के अनुसार मासिक धर्म को लेकर लोगों में गलतफहमियां हैं। ये कोई बीमारी नहीं। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य लड़की है, स्वस्थ्य परिवार की नींव रखती है। मासिक धर्म में महिलाओं व युवतियों को घबराने, छुपाने या शर्माने की जरूरत नहीं है। यह स्वभाविक प्रक्रिया है। साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें। गंदा कपड़ा इस्तेमाल न करें। बाजार में सस्ते सेनेटरी पैड्स भी उपलब्ध हैं। उनका इस्तेमाल करें। रूढ़िवादी सोच से हटकर जागरूक होने की जरूरत है। महिलाएं स्वयं भी जागरूक हों और अपनी बच्चियों को भी जागरूक बनाएं।