रांची: झारखंड हाई कोर्ट में पलामू में हो रहे अवैध खनन के खिलाफ शनिवार को जनहित याचिका दायर की गयी।
इसमें जिले के छतरपुर, हरिहरगंज, नवडीहा बाजार, पिपरा इलाके में पत्थर के अवैध उत्खनन पर रोक लगाने की मांग की गयी है। रत्नेश गुप्ता की तरफ से अधिवक्ता राजीव कुमार ने जनहित याचिका दायर की है।
हाई कोर्ट में दायर याचिका में याचिकाकर्ता ने सौ से अधिक अवैध क्रशर की सूची उपलब्ध कराते हुए इन्हें बंद कराने की मांग की है। साथ ही अवैध क्रशर के संचालकों की संपत्ति की जांच ईडी और इनकम टैक्स से कराने की भी मांग की है।
याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया है कि अधिकतर क्रशर अवैध हैं और स्थानीय जिला प्रशासन, जिला खनन पदाधिकारी तथा रेंजर की मिलीभगत से इनका संचालन होता है।
याचिका में कहा गया है कि जिन क्रशर संचालकों के पास माइनिंग लाइसेंस है वे सिर्फ कागज पर हैं। जमीन पर वे खनन नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए दिखेंगे। इनके क्रशर के स्टॉक तथा बिक्री पंजी आदि का कभी निरीक्षण नहीं होता है।
खनन पदाधिकारी और जिला प्रशासन इस बात पर भी ध्यान नहीं देते कि क्रशर में उपयोग होने वाला पत्थर वन क्षेत्र से आ रहा है।
50 से अधिक क्रशर वनक्षेत्र के पत्थर पर निर्भर हैं
छतरपुर के चेराई रोड में, तेलाडी रोड, मुरुमदाग और पिपरा प्रखंड रोड में 50 से अधिक क्रशर वनक्षेत्र के पत्थर पर निर्भर हैं। याचिकाकर्ता ने प्रतिदिन करोड़ों रुपये की राजस्व हानि होने का उल्लेख अपने याचिका में किया है।
याचिकाकर्ता ने उपलब्ध कराए कागजात में इस बात का उल्लेख किया है कि धूल, प्रदूषण और ब्लास्टिंग से कई गांवों के लोग सांस लेने की तकलीफ और कैंसर जैसी बीमारियों से जूझ रहे हैं।
इसकी जानकारी जिला प्रशासन और जन प्रतिनिधियों को भी है। साथ ही विधानसभा कमेटी का भी उल्लेख इस जनहित याचिका में है, जिन्होंने यह माना था कि अधिकतर क्रशर अवैध हैं जो स्कूल के किनारे, नेशनल हाईवे तथा जंगल में संचालित हो रहे हैं।
याचिकाकर्ता ने अवैध क्रशर संचालकों के नामों का उल्लेख भी इस जनहित याचिका में की है। साथ ही 150 क्रशरों की सूची इस याचिका में कोर्ट को उपलब्ध कराई है।