नई दिल्ली : 5 साल के अंदर ही आखिरकार 2000 नोट को बंद करने का फैसला (Decision) क्यों करना पड़ा, इसे लेकर कई तरह के सवाल उठाए जा रहे हैं।
वही इस फैसले पर PM के पूर्व प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्र (Nripendra Mishra) ने कहा है कि PM नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) 2000 का नोट लाना ही नहीं चाहते थे।
दो हजार रुपये के नोट का वापस लिया जाना पहले से ही तय था। नोटबंदी (Demonetisation) के समय यह नोट एक अस्थाई समाधान के रूप में लाया गया था।
रोजमर्रा लेनदेन के लिए सही नहीं है यह नोट-PM मोदी
PM मोदी के पूर्व प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा (Nripendra Mishra) ने शनिवार को यह बात कही है। 8 नवंबर 2016 को जब नोटबंदी (Demonetisation) हुई थी, तो उस समय नृपेंद्र मिश्रा ही PM मोदी के प्रधान सचिव थे।
Demonetisation की प्रक्रिया में वे शामिल थे और नोटबंदी के पीछे के विचार को भी वे जानते थे। 2,000 रुपये के नोट सर्कुलेशन (Note Circulation) से बाहर होने के बाद अब उन्होंने एक आम आदमी के रूप में अपनी बात कही है।
नोटबंदी के बाद PM मोदी नहीं चाहते थे कि इतना बड़ा नोट बाजार में उतरे। लेकिन शार्ट टर्म मूव (Short Term Move) के तौर पर इसे जारी करना पड़ा।उनके मुताबिक PM मोदी का मानना था कि 2000 का नोट, रोज के लेनदेन के लिए सही नहीं है।
2000 के नोट को वापस लेने का एलान
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने शुक्रवार को 2000 के नोट को वापस लेने का एलान कर दिया है। लेकिन यह नोट 30 सितंबर 2023 तक वैध रहेगा।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बैंकों को सलाह दी है कि वह तत्काल प्रभाव से 2000 के नोट जारी करना बंद कर दे।
यानी जिनके पास इस समय तो हजार रुपए के नोट से उन्हें बैंक से एक्सचेंज करना होगा। ‘Clean Note Policy’ के तहत यह फैसला लिया गया है।
PM मोदी ने हमेशा छोटे नोटों को व्यावहारिक मुद्रा माना- नृपेंद्र मिश्रा
नृपेंद्र मिश्रा ने कहा, ‘PM मोदी हमेशा से यह मानते थे कि 2,000 रुपये के नोट रोजमर्रा के लेनदेन के लिए एक प्रैक्टिकल करेंसी नहीं है। इसके अलावा, ये ब्लैक मनी और TAX चोरी को भी आसान बनाते हैं।
PM ने हमेशा छोटे नोटों को व्यावहारिक मुद्रा (Practical Currency) माना है।’ उन्होंने आगे कहा, ‘दो हजार रुपये के नोटों को वापस लेना प्रधानमंत्री की मॉड्यूलर बिल्डिंग एप्रोच को दर्शाता है।
इसकी शुरुआत 2018-19 में दो हजार रुपये के नोटों की छपाई पर रोक के साथ हुई। इसके बाद यह धीरे-धीरे प्रचलन से बाहर होता गया और अब 30 सितंबर, 2023 को यह पूरी तरह प्रचलन से बाहर हो जाएगा।’
साल 2018-19 में ही बंद हो गया था छपना
आरबीआई ने अपनी रिलीज (Release) में शुक्रवार को बताया था कि दो हजार रुपये के नोट की छपाई साल 2018-19 में ही बंद हो गई थी। दो हजार रुपये के नोट को RBI Act 1934 के सेक्शन 24 (1) के तहत लाया गया था।
पुराने 500 और 1000 रुपये को नोटों के बंद होने के बाद Currency Requirement के चलते इन नोटों को लाया गया था। जब 500, 200 और 100 सहित छोटो नोट पर्याप्त मात्रा में बाजार (Market) में आ गए, तो इन 2 हजार रुपये के नोटों को लाने का उद्देश्य भी पूरा हो गया।
इकॉनमी पर नहीं पड़ेगा कोई प्रभाव- वित्त सचिव T V सोमनाथन
2,000 रुपये के नोटों को सर्कुलेशन (Circulation of Notes) से बाहर करने का फैसला नोटबंदी से अलग है। वित्त सचिव TV सोमनाथन ने यह बात कही है। उन्होंने कहा कि यह फैसला नवंबर 2016 में की गई नोटबंदी से अलग है।
साथ ही उन्होंने कहा कि इसका Economy पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। सोमनाथन ने 30 सितंबर तक जमा नहीं किए जाने वाले नोट के बारे में पूछे जाने पर कहा कि बैंकों के पास इससे निपटने की समुचित व्यवस्था होगी।