रांची: झारखंड के स्थापना दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को भगवान बिरसा मुंडा संग्रहालय देश को समर्पित किया है। उन्होंने इसका उद्घाटन वर्चुअल तरीके से किया। इसके जरिए लोग आदिवासी समाज को जान सकेंगे बल्कि उनका उत्थान करने वालों से भी रूबरू हो सकेंगे।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने ऐलान किया कि आज से हर वर्ष 15 नवंबर बिरसा मुंडा के जन्मदिवस को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि मैं देश के इस निर्णय को भगवान बिरसा मुंडा और हमारे कोटि-कोटि स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और वीरांगनाओं को समर्पित करता हूं।
मैंने अपने जीवन का बहुत बड़ा हिस्सा जनजाति भाई-बहनों और उनके बच्चों के साथ बिताया है। मैं उनकी जरूरतों और जिंदगी का साक्षी रहा हूं।
इसलिए आज का दिन मेरे लिए व्यक्तिगत रूप से बहुत बड़ी भावना प्रकटीकरण का एक तरह से भावुक कर देने वाला दिन है। साथ ही कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी ने अलग मंत्रालय का गठन किया था। मैं अटल जी को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।”
उन्होंने कहा कि भारत की पहचान भारत की आजादी के लिए लड़ते हुए अपने आखिरी दिन रांची की इसी जेल में बिताए थे।
मुझे खुशी है कि आज आदिवासी संस्कृति से समृद्ध झारखंड में पहला आदिवासी म्यूजियम अस्तित्व में आया। मैं इस संग्रहालय के लिए पूरे देश के जनजातीय समाज का बधाई देता हूं। ये संग्रहालय आदिवासी स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का जीवंत प्रतिष्ठान बनेगा।
उन्होंने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा ने न सिर्फ अपने समाज में फैली कुरीतियों और गलत सोच के खिलाफ आवाज उठाने का साहस किया बल्कि उनको बदलने की भी ताकत रखी। उन्होंने विदेश सोच और ताकत को घुटनों पर ला दिया था। प्रधानमंत्री ने कहा कि वो केवल एक व्यक्ति नहीं बल्कि एक परंपरा हैं।
उल्लेखनीय है कि बिरसा मुंडा एक हाथ खोने के बावजूद अंग्रेजी हुकूमत से लोहा लेते रहे थे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि साथियों, इसके अलावा देश के अलग-अलग राज्यों में ऐसे ही नौ और म्यूजियम पर तेजी से काम हो रहा है।
इन म्यूजियम से न केवल देश की नई पीढ़ी आदिवासी इतिहास के गौरव से परिचित होगी, बल्कि इससे पर्यटन में भी बढ़ोत्तरी होगी। भगवान बिरसा मुंडा ने हमारे अनेकानेक आदिवासी स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी।