नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को जन औषधि परियोजना के लाभार्थियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बातचीत की।
पीएम मोदी ने लाभार्थियों के साथ बातचीत करते हुए कहा कि आज देश में 8,500 से अधिक जन औषधि केंद्र खुल गए हैं और ये केंद्र सिर्फ सरकारी स्टोर ही नहीं, बल्कि आम आदमी के लिए समाधान केंद्र के रूप में उभरे हैं।
जेनेरिक दवाओं के उपयोग और जन औषधि परियोजना के लाभों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए 1 मार्च से पूरे देश में जन औषधि सप्ताह मनाया जा रहा है। इस आयोजन का विषय जन औषधि-जन उपयोगी है। इस मौके पर केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया भी मौजूद थे।
पटना की एक लाभार्थी के साथ बातचीत करते हुए, प्रधानमंत्री ने पूछा कि उन्हें जन औषधि दवाओं के बारे में कैसे पता चला और दवाओं की गुणवत्ता के बारे में भी जानकारी ली। जवाब में, महिला ने कहा कि उसे दवाओं से बहुत फायदा हुआ है, क्योंकि अब वह अपनी महीने भर की दवाएं 1200-1500 रुपये के बजाय 250 रुपये में प्राप्त करने में सक्षम है।
महिला ने यह भी कहा कि वह अब इसी बचत को सामाजिक कार्यों पर खर्च करती हैं।
उनकी इस भावना की सराहना करते हुए, प्रधानमंत्री मोदी ने आशा व्यक्त की कि जन औषधि में लोगों का विश्वास उनके जैसे व्यक्तियों के माध्यम से बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि मध्यम वर्ग इस योजना का महान दूत हो सकता है।
उन्होंने समाज के मध्यम और निम्न-मध्यम और गरीब वर्गों की वित्तीय स्थिति पर बीमारी के प्रभाव के बारे में भी बात की। उन्होंने समाज के साक्षर वर्ग से जन औषधि के लाभों के बारे में बात करने का आह्वान किया।
एक दिव्यांग लाभार्थी के साथ बातचीत करते हुए, प्रधानमंत्री ने उनके अनुभव के बारे में पूछा कि क्या उनके लिए आवश्यक सभी दवाएं जन औषधि स्टोर पर उपलब्ध हैं?
लाभार्थी ने उत्तर दिया कि वह दुकान से सभी दवाएं प्राप्त करता है और हर महीने 2,000-2,500 रुपये बचाता है, क्योंकि उसके माता-पिता को भी दवाओं की आवश्यकता होती है।
सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जन-औषधि केंद्र तन को औषधि देते हैं, मन की चिंता को कम करने वाली भी औषधि हैं और धन को बचाकर जन-जन को राहत देने वाला काम भी इसमें हो रहा है।
दवा का पर्चा हाथ में आने के बाद लोगों के मन में जो आशंका होती थी कि, पता नहीं कितना पैसा दवा खरीदने में खर्च होगा, वो चिंता कम हुई है।
उन्होंने आगे कि महिलाओं के लिए 1 रुपये में सैनिटरी नैपकिन्स भी इन केंद्रों पर मिल रहे हैं। 21 करोड़ से ज्यादा सैनिटरी नैपकिन्स की बिक्री ये दिखाती है कि जन-औषधि केंद्र कितनी बड़ी संख्या में महिलाओं का जीवन आसान कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, आज देश में साढ़े आठ हजार से ज्यादा जन-औषधि केंद्र खुले हैं। ये केंद्र अब केवल सरकारी स्टोर नहीं, बल्कि सामान्य मानव के लिए समाधान और सुविधा के केंद्र बन रहे हैं।
उन्होंने कहा कि अगर हम इसी वित्तीय वर्ष के आंकड़ों को देखें, तो जन-औषधि केन्द्रों के जरिए 800 करोड़ से ज्यादा की दवाइयां बिकी हैं।
उन्होंने का कि सरकार ने कैंसर, तपेदिक, मधुमेह, हृदय रोग जैसी बीमारियों के इलाज के लिए आवश्यक 800 से अधिक दवाओं की कीमत को भी नियंत्रित किया है। सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया कि स्टंटिंग और घुटने के प्रत्यारोपण की लागत को भी नियंत्रण में रखा जाए।
पीएम मोदी ने कहा, आयुष्मान भारत योजना के दायरे में आज 50 करोड़ से ज्यादा लोग हैं। जब ये योजना शुरू हुई है, तब से 3 करोड़ से ज्यादा लोग इसका लाभ उठा चुके हैं। उन्हें अस्पतालों में मुफ्त इलाज मिला है। अगर ये योजना नहीं होती, तो हमारे इन गरीब भाई-बहनों को करीब-करीब 70 हजार करोड़ रुपये खर्च करने पड़ते।
उन्होंने कहा, जो हमने अभियान चलाया है। आज गरीबों ने डायलिसिस सेवा के करोड़ से ज्यादा सेशन मुफ्त कराए हैं। पीएम नेशनल डायलिसिस प्रोग्राम ने 550 करोड़ रुपये की बचत की है, जबकि घुटना प्रत्यारोपण और दवा मूल्य नियंत्रण ने 13,000 करोड़ रुपये की बचत की है।
प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि कुछ दिन पहले ही सरकार ने एक और बड़ा फैसला लिया है, जिसका बड़ा लाभ गरीब और मध्यम वर्ग के बच्चों को मिलेगा। उन्होंने कहा, हमने तय किया है कि प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में आधी सीटों पर सरकारी मेडिकल कॉलेज के बराबर ही फीस लगेगी।