नई दिल्ली : देश में समान नागरिक संहिता (UCC) को लेकर छिड़ी बहस के बीच पूर्व कानून मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वीरप्पा मोइली (Veerappa Moily) ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi), विधि आयोग एवं सभी राजनीतिक दलों के नेताओं से आग्रह किया कि वे पर्सनल लॉ (Personal law) पर विवादों का पिटारा न खोलें तथा समाज में अफरा-तफरी की स्थिति पैदा न करें।
अनुच्छेद 25 आस्था की स्वतंत्रता का देता है अधिकार
उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि यह मुद्दा इसलिए उठाया गया है ताकि समाज में विभाजन पैदा किया जा सके, देश को अस्थिर किया जा सके और भारतीय समाज की विविधिता को खत्म किया जा सके।
मोइली ने एक बयान में इस बात पर जोर दिया कि संविधान का अनुच्छेद 25 आस्था की स्वतंत्रता का अधिकार देता है।
समान नागरिक संहिता को अनिवार्य नहीं बनाया जाए
उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में सार्वजनिक रूप से समान नागरिक संहिता की बात की। संविधान में इसका उल्लेख है, लेकिन संविधान निर्माताओं (Constitution makers) ने संविधान सभा (Constituent Assembly) में यह फैसला किया था कि समान नागरिक संहिता को अनिवार्य नहीं बनाया जाए क्योंकि यह भारतीय समाज की विविधता से संबंधित है।’’
संप्रग सरकार के समय कानून मंत्री रहे मोइली ने यह भी कहा कि 21वें विधि आयोग ने कहा था कि समान नागरिक संहिता की जरूरत नहीं है।
उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी, विधि आयोग और सभी राजनीतिक दलों के नेताओं से आग्रह किया कि वे पर्सनल लॉ पर विवादों का पिटारा न खोलें तथा समाज में अफरा-तफरी की स्थिति पैदा न करें।