चंडीगढ़: पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया कि कृषि कानूनों को तुरंत रद्द किया जाए। उन्होंने कहा कि किसानों की मांगों में कुछ भी गलत नहीं है।
पंजाब में नए कृषि कानूनों को पहले ही लागू किए जाने की बात मीडिया के एक धड़े द्वारा फैलाए जाने पर अमरिंदर सिंह ने जोरदार हमला बोला। उन्होंने कहा कि यह बहुत ही गैर जिम्मेदाराना रिपोर्ट है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि खाद्य मंत्री भारत भूषण आशू के एक बयान को मीडिया ने गलत तरीके से ट्विस्ट किया और दूसरे मीडिया ग्रुपों ने भी उसे उठा लिया।
उन्होंने कहा कि पंजाब पहला राज्य है जिसने केंद्रीय कृषि कानूनों का विरोध किया था और उसके खतरनाक प्रभाव को नकारने के लिए विधानसभा में संशोधन बिल पास किए थे।
अमरिंदर सिंह ने आम आदमी पार्टी (आप) पर दुष्प्रचार के लिए भ्रामक जानकारी फैलाने के लिए भी आड़े हाथों लिया।
उन्होंने कहा, राज्यपाल को हमारे विधेयकों को राष्ट्रपति तक पहुंचाना चाहिए था, जो उन्होंने नहीं किया।
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि पंजाब नए कानूनों से अपने किसानों का जीवन बर्बाद नहीं होने देगा।
उन्होंने कहा, हम किसानों और उनके परिवारों की हर संभव मदद करेंगे। उनके लिए राज्य सरकार ने पहले से ही दो हेल्पलाइन शुरू किए हुए हैं।
विवादास्पद कानूनों को वापस लेने और किसानों से बात करने के लिए प्रधानमंत्री से आग्रह करते हुए अमरिंदर सिंह ने कहा, किसानों ने अपना रुख स्पष्ट कर दिया है कि कानूनों को निरस्त किया जाना चाहिए।
यह भारत सरकार का काम है कि वे उनकी बात सुनें।
पंजाब सीएम ने कहा कि केंद्र सरकार किसानों से बातचीत के बाद नए कानून ला सकती है।
संविधान में कई बार संशोधन किए गए हैं। एक बार और हो सकता है।
उन्होंने कहा कि देश भर के किसान कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में शामिल है।
छह-सात बैठकों के बाद मामला हल हो जाना चाहिए था और किसान, जो ठंड और बारिश में बाहर बैठे हैं, वापस अपने खेत जा सकते थे।
मुख्यमंत्री ने प्रदर्शनकारी किसानों को नक्सल और आतंकवादी कहने वालों पर एक बार फिर करारा हमला बोला और इसे गलत और गैर-जिम्मेदाराना हरकत बताया।