विश्व वन्यजीव दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को गुजरात के जूनागढ़ जिले में स्थित सासन गिर का दौरा करेंगे। एशियाई शेर वर्तमान में गुजरात के 9 जिलों के 53 तालुकाओं में लगभग 30,000 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैले हुए हैं।
गुजरात सरकार ने एशियाई शेरों और अन्य वन्यजीव प्रजातियों के संरक्षण के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। जूनागढ़ जिले के न्यू पिपल्या में 20.24 हेक्टेयर भूमि पर एक राष्ट्रीय वन्यजीव रेफरल केंद्र स्थापित किया जा रहा है, जो संरक्षण प्रयासों को और सुदृढ़ करेगा।
इसके अतिरिक्त, सासन गिर में वन्यजीव ट्रैकिंग के लिए एक अत्याधुनिक निगरानी केंद्र और एक हाई-टेक अस्पताल भी बनाया गया है। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में राज्य सरकार ने शेरों के संरक्षण को प्राथमिकता देते हुए कई नई योजनाएं लागू की हैं। 2024 में गिर के संरक्षित क्षेत्रों की निगरानी बढ़ाने के लिए 237 बीट गार्ड (162 पुरुष और 75 महिलाएँ) की भर्ती की गई। साथ ही, स्थानीय समुदायों की समस्याओं के समाधान के लिए ‘गिर संवाद सेतु’ पहल चलाई जा रही है, जिसके तहत अब तक 300 कार्यक्रम आयोजित किए जा चुके हैं।
शाकाहारी जीवों के संरक्षण के लिए राज्य में नौ प्रजनन केंद्र स्थापित किए गए हैं। इसके अलावा, रेलवे ट्रैक पर शेरों की आवाजाही से होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए रेलवे विभाग के साथ मिलकर एक एसओपी तैयार की गई है, जिससे दुर्घटनाओं में उल्लेखनीय कमी आई है।
गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गिर के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 2007 में उन्होंने स्वयं गिर के जंगलों का दौरा किया और संरक्षण संबंधी योजनाओं का मार्गदर्शन किया। इसके बाद, गिर क्षेत्र के समग्र विकास और जैव विविधता की रक्षा के लिए कई परिवर्तनकारी पहल की गईं।
2007 की एक शिकार घटना के बाद, राज्य सरकार ने जूनागढ़ में ग्रेटर गिर वन्यजीव संरक्षण टास्क फोर्स डिवीजन की स्थापना की, जिससे वन्यजीव अपराधों पर नजर रखी जा सके। प्रधानमंत्री मोदी ने ‘ब्रुहद गिर’ की अवधारणा पेश की, जिसके तहत गिर राष्ट्रीय उद्यान और अभयारण्य से आगे बर्दा से बोटाड तक के 30,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में एशियाई शेरों के संरक्षण पर ध्यान केंद्रित किया गया। इस पहल के माध्यम से न केवल गिर क्षेत्र का विकास हुआ, बल्कि स्थानीय समुदायों के कल्याण को भी प्राथमिकता दी गई।