मुंबई: एक तरफ विपक्ष PM Modi 2024 में शिकस्त देने के लिए एकजुट हो रहा है। वहीं मुंबई में NCP नेता अजित पवार (Ajit Pawar) ने बड़ा खेल कर दिया है।
अजित की इस चाल से विपक्षी एकता को बड़ा तगड़ा झटका लगा है।
चूंकि NCP के ज्यादार नेता BJP शिवसेना के गठबंधन वाली सरकार को समर्थन करना चाहते थे, लेकिन यह काम बिना शरद पावर (Sharad Pawar) की मंजूरी के संभव नहीं थी।
कहा तो यह भी जा रहा है कि NCP नेता किसी हाल में नहीं चाहते थे कि राहुल गांधी (Rahul Gandhi) विपक्ष के नेता और आगामी लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) में प्रधानमंत्री पद के दावेदान बनें।
NCP की टूट का यह भी एक बड़ा कारण बताया जा रहा है।
किया आग में घी का काम
बता दें कि NCP में करीब एक साल से सबकुछ ठीक नहीं है।
खुल कर तो नहीं, लेकिन शरद पवार के पीठ पीछे अजित पवार (Ajit Pawar) कई बार पार्टी लाइन से अलग रुख अपनाते हुए BJP के समर्थन की बात कर चुके हैं।
वहीं ED, CBI समेत कई अन्य केंद्रीय जांच एजेंसियों की नोटिस के बाद पार्टी के अन्य नेता भी BJP शिवसेना के गठबंधन वाली सरकार को समर्थन का मुद्दा उठाते रहे हैं।
हालांकि पिछले दिनों शरद पवार ने सन्यास लेने की घोषणा कर सबकुछ ठीक करने की कोशिश की थी, लेकिन वह कोशिश खुद उन्हें ही उल्टी पड़ गई है।
इसमें विपक्षी एकजुटता की कवायद ने आग में घी का काम किया है।
लालू यादव ने की राहुल गांधी की तारीफ
गौरतलब है कि पिछले दिनों पटना में हुई विपक्षी दलों की बैठक में लालू यादव (Lalu Yadav) ने राहुल गांधी की तारीफ की थी।
उन्होंने कहा था कि ‘जल्द दूल्हा बनो, तुम्हारी मां भी यही चाहती है’।
लालू ने उस समय यह भी कहा था कि तुम घोड़ी चढ़ो और हम सभी बाराती बनेंगे।
लालू यादव के इस बयान के कई सियासी मतलब भी निकाले गए। माना जा रहा है कि लालू यादव ने राहुल गांधी को विपक्ष की अगुवाई करने के लिए आर्शीवाद दिया है.
इस हिसाब से आगामी लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी ना केवल विपक्ष का चेहरा हो सकते हैं, बल्कि प्रधानमंत्री पद के दावेदार भी हो सकते हैं।
नेताओं ने लालू के बयान का निकाला यह अर्थ
महाराष्ट्र में NCP के तमाम नेताओं ने भी लालू के बयान का यही अर्थ निकाला है।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक NCP के ज्यादातर नेता नहीं चाहते कि लोकसभा चुनाव में NCP कांग्रेस के साथ खड़ी हो।
ऐसे में अजित पवार का इशारा मिलते ही पार्टी के नेता कांग्रेस को रोकने का सामर्थ्य रखने वाली BJP को समर्थन देने को तैयार हो गए।
यही नहीं, यह सबकुछ इतना तेजी से हुआ कि इसकी भनक पार्टी में ही शरद पवार खेमे को भी नहीं हो सकी।