नई दिल्ली: दक्षिण अफ्रीका क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान हैंसी क्रोन्ये का फोन टेप कर साल 2000 में मैच फिक्सिंग स्कैंडल का खुलासा करने वाले दिल्ली पुलिस के शीर्ष अधिकारी ईश्वर सिंह गुरुवार को रिटायर हो रहे हैं।
उन्होंने कहा है कि वह 38 साल दो महीने की लंबी नौकरी के बाद काफी संतुष्ट हैं।
60 साल के सिंह नई दिल्ली, (दक्षिण-पश्चिम) के सहायक पुलिस आयुक्त के तौर पर रिटायर हुए हैं।
गुरुवार को कई सारी पार्टियों में हिस्सा लेने के बाद वह अपने पैतृक गांव हरियाणा के जिंद में आने वाले इग्राह गांव जाएंगे और अपने माता-पिता के साथ समय बिताएंगे।
सिंह 50 साल से घर से बाहर ही हैं। उन्होंने 1970 में भुवनेश्वर में सैनिक स्कूल में दाखिला लिया था और तब से वह घर से दूर ही रहे हैं। उनकी इच्छा भारतीय सेना में शामिल होने की थी जो पूरी नहीं हो सकी।
2000 में सब-इंस्पेक्टर सिंह हैंसी क्रोन्ये स्कैंडल के बाद वैश्विक स्तर पर जाना-माना नाम बन गए थे।
इसके कई साल बाद वह 2010 में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा के भारत दौरे पर पायलट सिक्योरिटी का हिस्सा रहे और अमेरिकी दूतावास से उन्हें शाबाशी भी मिली।
सिंह ने आईएएनएस से कहा, मैंने अपने करियर में जो किया है उससे मैं काफी खुश हूं।
मैने कई सारे मामले सुलझाए हैं, लेकिन जहां तक लोकप्रियता की बात है तो हैंसी क्रोन्ये मामले से मुझे सबसे ज्यादा लोकप्रियता मिली।
उन्होंने कहा, मैं 1970 से अपने घर से बाहर हूं। मैंने तब भुवनेश्वर के सैनिक स्कूल में भारतीय सेना में भर्ती होने के सपने के साथ दाखिला लिया था। मैं वहां से 1977 में लौटा और कुरुक्षेत्र में ग्रेजुएशन पूरा किया।
इसके बाद मैंने 22 अक्टूबर 1982 में दिल्ली पुलिस में सब-इंसपेक्टर के रूप में नौकरी ज्वाइन की।
उन्होंने कहा, गुरुवार रात को रिटायर होने के बाद, इस बात को सुनिश्चित करने के बाद कि नए साल पर मौज मस्ती करेन वाले लोग अपने घरों में ही रहें- मैं अपने दिल्ली पुलिस के दोस्तों के साथ पार्टी करूंगा और फिर नौकरी को अलविदा कह दूंगा।
उन्होंने कहा, मेरा प्लान मेरे गांव जाना और अपने माता-पिता के साथ कुछ समय बिताना है जो अब 86 साल के हो चुके हैं।
सिंह के दो बेटे हैं। एक बेटा व्यापार करता है और दूसरा बेटा मुंबई में काम करता है।
दिल्ली के पूर्व कमिश्नर नीरज कुमार ने कहा कि सिंह का मैच फिक्सिंग स्कैंडल को उजागर करने में बड़ा रोल था।
नीरज ने कहा, वह काफी प्रतिभाशाली पुलिस जासूस थे। किसी को भी यह पता नहीं चलेगा कि क्रिकेट में भ्रष्टाचार को उजागर करने में उनकी कितनी बड़ी भूमिका थी।
मैं कहूंगा कि उनका योगदान ऐतिहासिक था और आने वाले समय में इसे याद रखा जाएगा, हालांकि लोग इस तरह की चीजों को भूलना चाहते हैं।
नीरज ने आईएएनएस से कहा, क्रोन्ये मामले के अलावा उन्होंने काफी मामले सुलझाए हैं। उनके रिटायर होने के बाद एक प्रतिभाशाली जासूस ग्रुप का अंत हो जाएगा।
उन्होंने कहा, क्रिकेट में अगर किसी संस्था को भ्रष्टाचार से लडने के लिए किसी प्रतिभा की जरूरत है, चाहे वो आईसीसी हो या बीसीसीआई, उसे सिंह को लेना चाहिए और उनकी जानकारी का फायदा उठाना चाहिए।
उन्होंने कहा, उन्हें इस एरिया में काफी जानकारी है। चूंकि वह इस क्षेत्र में जाने-माने नाम हैं इसलिए लोग अभी भी उन्हें जानकारी मुहैया कराते हैं। उनके पास मुखबिरों का बड़ा नेटवर्क है। वह क्रिकेट के बारे में काफी कुछ जानते हैं।
आईसीसी ने 2001 में सिंह को अपनी भ्रष्टाचार रोधी ईकाई में शामिल करने का भी सोचा था लेकिन वर्दी के प्रति उनकी दिवानगी और दिल्ली पुलिस में बने रहने की ख्वाहिश के कारण सिंह ने वो प्रस्ताव ठुकरा दिया।
सिंह ने कहा, 2001 में, क्रोन्ये मामले के बाद आईसीसी ने मुझे एसीयू में शामिल होने का अनाधिकारिक प्रस्ताव दिया था। मैं उस समय 30 की उम्र का था। इसलिए मैंने वो प्रस्ताव नहीं लिया क्योंकि मैं दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच में ही रहना चाहता था। मुझे क्राइम ब्रांच के साथ काम करने में मजा आता था।
सिंह द्वारा प्रस्ताव ठुकराने के बाद आईससी ने निरंजन सिंह वर्क को अपनी टीम में शामिल किया। निरंजन भी उस समय दिल्ली पुलिस में थे।
अपने करियर में सिंह ने काफी कुछ देखा। दिल्ली पुलिस में आने के बाद उन्होंने 1984 में हुए सिख दंगे देखे और मध्य प्रदेश की एक गैंग जो दिल्ली में रहकर 18 लोगों की हत्या कर चुकी थी, उसका भांडाफोड़ करने वाली पुलिस टीम का भी हिस्सा रहे।
उन्होंने कहा, हर कोई उस क्रिकेट मैच फिक्सिंग स्कैंडल की बात करता है जिसका खुलासा मैंने किया, लेकिन कोई अन्य मामलों की बात नहीं करता जो मैंने सुलझाए।
उन्होंने कहा, उदाहरण के तौर पर मैंने उस गैंग का भांडाफोड़ किया था जिसने छह बच्चों को किडनैप किया। जिन बच्चों को मैंने बचाया था उनमें से आज भी एक बच्चा मेरे संपर्क हैं और उसने मुझे अपनी शादी में भी बुलाया था।
सिंह ने कहा, मुझे अमेरिकी राज्य विभाग से प्रमाण पत्र मिला था और मैंने तथा दिल्ली पुलिस ने जो काम किया था उसे लेकर शाबाशी मिली थी।