Speculation of reconciliation between Uddhav and Raj Thackeray:महाराष्ट्र की राजनीति में इन दिनों नई हलचल देखने को मिल रही है। आगामी बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) चुनाव से पहले शिवसेना (UBT) प्रमुख उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MANSE) अध्यक्ष राज ठाकरे के बीच सुलह की अटकलें जोर पकड़ रही हैं। दोनों नेताओं ने मराठी संस्कृति और हितों की रक्षा के लिए एकजुट होने के संकेत दिए हैं, जिससे राज्य की सियासत में सरगर्मी बढ़ गई है।
शनिवार को सतारा जिले के अपने पैतृक गांव दरे में डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे से जब एक मराठी टीवी पत्रकार ने उद्धव और राज के बीच सुलह की चर्चा पर प्रतिक्रिया मांगी, तो शिंदे नाराज हो गए। उन्होंने पत्रकार से कहा, “सरकार के काम के बारे में बात करें।” शिंदे ने सुलह के सवाल को अनसुना कर दिया, जिससे उनकी असहजता जाहिर हुई।
इस बीच, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस संभावित सुलह को सकारात्मक कदम बताया। उन्होंने कहा, “अगर उद्धव और राज एक साथ आते हैं, तो यह अच्छी बात है। भले ही वे बीएमसी चुनाव में एनडीए को हरा न पाएं, लेकिन अलग हुए लोगों का एक होना हमेशा स्वागत योग्य है।”
राज ठाकरे ने हाल ही में एक इंटरव्यू में कहा था कि उन्हें अविभाजित शिवसेना में उद्धव के साथ काम करने में कोई समस्या नहीं थी। उन्होंने मराठी मानुष के हितों के लिए एकजुट होने की इच्छा जताई और कहा कि राजनीतिक मतभेदों को महाराष्ट्र के हितों के लिए नजरअंदाज किया जा सकता है।
उद्धव ठाकरे ने भी इस दिशा में सकारात्मक रुख दिखाया। उन्होंने कहा, “मैं छोटे-मोटे झगड़ों को किनारे रखने को तैयार हूं, बशर्ते महाराष्ट्र के हितों के खिलाफ काम करने वालों को शामिल न किया जाए।”
2005 में राज ठाकरे ने उद्धव से मतभेदों के चलते शिवसेना छोड़कर मनसे बनाई थी, जिसके बाद दोनों चचेरे भाइयों के बीच करीब दो दशक तक कड़वाहट रही। हाल ही में एक शादी समारोह में दोनों की मुलाकात और भावनात्मक बातचीत ने सुलह की संभावनाओं को बल दिया। दोनों नेताओं ने मराठी संस्कृति और पहचान पर बढ़ते खतरों का हवाला देते हुए एकजुट होने की बात कही, जिसने बीएमसी चुनाव से पहले सियासी समीकरणों को और जटिल कर दिया है।
BMC चुनाव और सियासी समीकरण
BMC, जिसका बजट 74,000 करोड़ रुपये है, शिवसेना (UBT) का गढ़ रही है। उद्धव ठाकरे 1997 से इसकी कमान संभालते आए हैं। 2024 के विधानसभा चुनाव में मनसे ने उद्धव की शिवसेना को मुंबई में 8 सीटों पर वोट काटकर फायदा पहुंचाया, जिससे उद्धव की पार्टी ने 20 सीटें जीतीं। अब बीएमसी चुनाव में दोनों की सुलह बीजेपी और शिंदे की शिवसेना के लिए चुनौती बन सकती है।
फडणवीस की रणनीति भी चर्चा में है। उन्होंने हाल ही में राज ठाकरे और उद्धव के नेताओं से मुलाकात की थी, जिसे शिंदे पर दबाव बनाने की रणनीति माना जा रहा है। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि बीजेपी मनसे के साथ गठबंधन कर मराठी वोटों को एकजुट करने की कोशिश कर सकती है, ताकि शिंदे की शिवसेना और उद्धव की शिवसेना दोनों कमजोर हों।
यहां समझें शिंदे की नाराजगी के मायने
शिंदे की नाराजगी उनकी मुंबई में कमजोर पकड़ और बीजेपी के साथ तनाव को दर्शाती है। शिंदे की शिवसेना को बीएमसी में मजबूत आधार नहीं मिल पाया है, और उद्धव-राज की सुलह उनके लिए बड़ा झटका हो सकती है। शिंदे के कुछ करीबी नेताओं का मानना है कि अगर मनसे और उद्धव एकजुट होते हैं, तो मराठी वोटों का ध्रुवीकरण उनकी पार्टी के खिलाफ जा सकता है।