रांची: पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कटौती के सवाल पर सियासी रार शुरू हो गई है। भारतीय जनता पार्टी ने जहां राज्य सरकार की ओर से पेट्रोल-डीजल पर लगाए जाने वाले वैट की दरें घटाने का दबाव बढ़ा दिया है, वहीं दूसरी ओर राज्य के वित्त एवं वाणिज्य मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव ने कहा है कि पेट्रोल-डीजल पर केंद्र द्वारा एक्साइज ड्यूटी में की गई कटौती नाकाफी है।
शुक्रवार को उन्होंने मीडिया से कहा कि केंद्र सरकार अगर वास्तव में जनता को राहत देना चाहती है तो उसे टैक्स और घटाना चाहिए।
क्या झारखंड सरकार वैट में कटौती कर राज्य की जनता को पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर राहत देगी?
यह सवाल पूछे जाने पर झारखंड के वित्तमंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव ने कहा कि इस पर केंद्र द्वारा की गई कटौती बेहद मामूली है और अब भी राज्य की तुलना में केंद्र द्वारा पेट्रोल-डीजल पर लिया जाने वाला टैक्स बहुत ज्यादा है।
राज्य के पास करों से आय के स्रोत अत्यंत कम हैं। उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार पेट्रोल-डीजल पर प्रति लीटर 17 रुपये वैट लगाती है, जबकि केंद्र सरकार हाल की कटौती के बाद भी प्रति लीटर पेट्रोल पर 29 रुपये और डीजल पर 24 रुपये का कुल टैक्स वसूल रही है।
इस तरह केंद्र की ओर से लिया जाना वाला टैक्स राज्य की तुलना में ज्यादा है। उन्हें जनता को राहत देने के लिए और कटौती करनी चाहिए। राज्य सरकार की ओर से वैट में कमी की जाएगी या नहीं, यह राज्य के मुख्यमंत्री और मंत्रिमंडल के निर्णय का विषय है।
इधर, विपक्षी भारतीय जनता पार्टी ने लगातार दूसरे दिन झारखंड सरकार से पेट्रोल-डीजल पर वैट घटाने का निर्णय लेने की अपील की। रांची के भाजपा सांसद संजय सेठ ने कहा कि केंद्र ने जनता को राहत देने का कदम उठाया है और इसके बाद कई राज्यों की सरकारों ने अपने टैक्सों में कटौती की है।
झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार को भी तत्काल वैट में कम से कम पांच रुपये की कटौती करनी चाहिए। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि वित्तमंत्री उरांव ने कुछ दिन पहले बयान दिया था कि केंद्र अपने हिस्से के टैक्स में कटौती करे, तो राज्य सरकार भी ऐसा कदम उठाएगी, लेकिन अब राज्य सरकार ने चुप्पी साध ली है।
इससे यह साफ है कि राज्य सरकार का जनहित से कोई वास्ता नहीं है। इससे पहले, गुरुवार को राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने भी झारखंड के मुख्यमंत्री से पेट्रोल-डीजल में राज्य के हिस्से के टैक्स में कमी करने की अपील की थी।