नई दिल्ली: देश में इस साल पहली बार बर्ड फ्लू के प्रकोप से प्रभावित राज्यों की संख्या दोहरे अंकों में चली गयी है, हालांकि इस बीमारी की जद में जंगली परिंदे ही ज्यादा हैं।
पोल्ट्री बर्ड में नौ राज्यों में बर्ड फ्लू की पुष्टि जरूर हुई है, लेकिन इसके एपिसेंटर कम हैं।
विशेषज्ञ बताते हैं कि एवियन इन्फ्लुएंजा का नया वायरस मानव के लिए खतरनाक नहीं है।
मगर, बर्ड फ्लू की मार से पोल्ट्री कारोबार अब तक नहीं उबर पाया है। हालांकि, होटल, रेस्तरा में चिकन की मांग में पिछले सप्ताह के मुकाबले सुधार देखा जा रहा है।
कोराना के कहर से देश की पोल्ट्री इंडस्ट्री अभी ठीक ढंग से उबर भी नहीं पाई थी कि नये साल की शुरूआत में बर्ड फ्लू के प्रकोप से पोल्ट्री कारोबार बुरी तरह प्रभावित हो गया।
बर्ड फ्लू के प्रकोप की रोकथाम के लिए केंद्र और राज्य सरकारों की एजेंसियों की तरफ से चाक चौबंद प्रबंध किए जाने और चिकन व अंडे पकाकर खाना सुरक्षित बताए जाने के बावजूद कुक्कुटपालक किसानों की परेशाानी कम नहीं हुई है क्योंकि उन्हें 100 रुपये का मुर्गा 50 रुपये में बेचना पड़ रहा है।
केंद्रीय पशुपालन, मत्स्यपालन और डेयरी मंत्रालय में पशुपालन आयुक्त डॉ. प्रवीण मलिक ने आईएएनएस को बताया कि भारत में 2006 में पहली बार बर्ड फ्लू के मामले पाए गए लेकिन अब तक एक साथ इसकी रिपोर्ट कम ही राज्यों में होती थी, लेकिन इस बार इसकी रिपोटिर्ंग अच्छी हुई है जिससे राज्यों की संख्या बढ़कर सबसे ज्यादा हो गई है, लेकिन एपिसेंटर ज्यादा नहीं है, साथ ही रिपोर्ट करने और नियंत्रण अभियान चलाने में राज्यों ने मुस्तैदी दिखाई है।
उन्होंने कहा कि जहां कहीं भी पोल्ट्री बर्ड में एवियन इन्फ्लूंएजा की पुष्टि हुई है वहां केंद्र सरकार की टीम के सहयोग से राज्यों ने पक्षियों को नष्ट करने समेत तमाम एहतियाती उपाय फौरी तौर पर किए हैं।
राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशुरोग संस्थान (एनआईएचएसएडी) की जांच रिपोर्ट के अनुसार, देश के 13 राज्यों में शनिवार तक बर्डफ्लू की पुष्टि हो चुकी थी, जिनमें नौ राज्यों में पोल्ट्री बर्ड में हुई है।
इनमें से केरल में बत्तख जबकि हरियाणा, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, गुजरात, उत्तर प्रदेश और पंजाब में कुक्कुट में बर्ड फ्लू पाए गए हैं।
वहीं, 12 राज्यों में जंगली पक्षियों में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई है।
डॉ. मलिक ने बताया कि एवियन इन्फ्लुएंजा का जो नया वायरस सामने आया है वह खतरनाक नहीं है क्योंकि इसके मानव पर प्रभाव की कोई रिपोर्ट नहीं है।
बर्ड फ्लू आमतौर पर जिस वायरस के संक्रमण से फैलता है वह एच-5एन-1 है जबकि इस बार एच-5एन-8 संक्रमण के मामले भी मिले हंै।
पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया के प्रेसीडेंट रमेश खत्री ने बताया कि बर्ड फ्लू के खौफ से उत्तर भारत में पोल्ट्री इंडस्ट्री का कारोबार करीब 50 फीसदी प्रभावित हुआ है जबकि देश के अन्य हिस्सों में कुक्कुटपालकों के कारोबार पर तकरीबन 30 से 40 फीसदी असर पड़ा है।
उन्होंने कहा कि पोल्ट्री कारोबारियों को 100 रुपये का मुर्गा इस समय 50 रुपये में बेचना पड़ रहा है।
वहीं, चिकन के रिटेल कारोबारियों की बिक्री जरूर कम है लेकिन चिकन का भाव कम नहीं है।
दिल्ली-एनसीआर में 230-250 रुपये किलो बिक रहा है।
होटल व रेस्तरा में चिकन की मांग एक सप्ताह पहले कम जरूर थी, लेकिन अब मांग बढ़ गई है।
दिल्ली में 20 रेस्तरां की चेन के संचालक इंद्रजीत सिंह ने बताया कि उनकी रेस्तरां में चिकन की मांग अब पहले जैसी होने लगी है और लजीज नॉन-वेज खाने के शौकीन चिकन की खूब मांग कर रहे हैं, उनमें बर्ड फ्लू को लेकर कोई घबराहट नहीं है।
गुरुग्राम की रेस्तरां पांडा किचेन में भी चिकन की मांग बढ़ गई है।
फूड पांडा के संचालक राजन गुप्ता ने बताया कि चिकन की कीमत भी अब बढ़ गई है, एक सप्ताह पहले चिकन 120 से 150 रुपये किलो मिलने लगा था जोकि अब 200 रुपये से उंचे भाव पर मिलने लगा है।
जानकार बताते हैं कि कोरोना महामारी का संकट पिछले साल आने से पहले भारत में पोल्ट्री इंडस्ट्री का सालाना कारोबार करीब 1.25 लाख करोड़ रुपये का था जोकि कोरोना काल में फैली अफवाह के चलते घटकर करीब आधा रह गया है।