हजारीबाग: हजारीबाग जिले में बिजली संकट के कारण लोग परेशान हैं। यहां लोगों को 10 से 12 घंटे ही बिजली मिल रही है। इससे बिजली लोगों के दैनिक कार्य भी ठप हो जा रहे हैं।
बिजली के कमी के कारण एक और जहां लोगों को समुचित जलापूर्ति नहीं हो पा रही है, वहीं अंधेरे में रात गुजारनी पड़ रही है।
सबसे ज्यादा दिक्कत जल आपूर्ति पर निर्भर रहने वाले लोगों को हो रही है। बिजली संकट में जो सबसे बड़ा कारण बताया जा रहा है।
उसमें कोयले की आपूर्ति की कमी होना शामिल है। सूचना के अनुसार राज्य के प्रमुख खदानों में पानी भर गई है, इसलिए कोयला उत्पादन में दिक्कत हो रही है।
इस संबंध में हजारीबाग के सांसद और वित्त समिति के अध्यक्ष जयंत सिन्हा ने पीसीएल अधिकारियों के हवाले से बताया कि राज्य में अमूमन 1200 से लेकर 1300 एमएम बारिश हुआ करती है, लेकिन इस बार 2000 एमएम बारिश हो चुकी है।
इससे कोयला निकालने में भारी दिक्कत हो रही है। इधर बाना दाग में आंदोलन चलाया जा रहा है।
इस आंदोलन से हाईवा से कोयला की धुलाई करने वालों को रोका जा रहा है। अधिकारियों के अनुसार कोयला की आपूर्ति में इससे भी परेशानी खड़ी हो रही है। एक ओर झारखंड सरकार का डीवीसी पर बकाया बढ़ रहा है।
त्योहारी सीजन से पहले देश में कोयला संकट बढ़ता जा रहा है। देश में खानों से दूर स्थित (नॉन-पिटहेड) 64 बिजली संयंत्रों के पास चार दिन से भी कम का कोयला भंडार बचा है।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इन बिजली उत्पादन केंद्र में कोयले का स्टॉक खत्म हो रहा है और आने वाले तीन-चार दिनों में पूरा स्टॉक ही खत्म हो जाएगा।
विदित हो कि केंद्रीय बिजली प्राधिकरण (सीईए) की बिजली संयंत्रों के लिए कोयला भंडार पर ताजा रिपोर्ट से यह भी पता चला है कि 25 ऐसे बिजली संयंत्रों में तीन अक्तूबर को सात दिन से भी कम समय का कोयला भंडार था।
कम से कम 64 ताप बिजली संयंत्रों के पास चार दिनों से भी कम समय का ईंधन बचा है।