खूंटी : जिला मुख्यालय Khunti के अलावा राजधानी के आसपास के कई कस्बाई इलाकों में भी दुर्गोत्सव (Durgotsav) की तैयारियां परवान पर है।
गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण के कारण कई तरह की पाबंदियों की वजह से लोग पिछले दो वर्षों से पहले की तरह दुर्गा पूजा नहीं मना पाये थे।
इस बार संक्रमण (Infection) कम होने के कारण विभिन्न पूजा पंडालों द्वारा भव्य तरीके से दुर्गोत्सव मनाने की तैयारियां की जा रही हैं।
कारीगर पंडालों (Artisan pandals) को अंतिम रूप देने में जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं, वहीं मूर्तिकार भी मां दुर्गा और अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमा को सजाने-संवारने में पूरे लगन से जुटे हुए हैं।
इस बार लोगों को यहां बांस की अनूठी कलाकृति देखने को मिलेगी
खूंटी जिले में प्रति वर्ष भव्य व अनूठे पूजा पंडाल का निर्माण करने वाले शहर की सार्वजनिक दुर्गा पूजा समिति, नेताजी चौक में इस साल बांस की अनूठी कलाकृति देखने को मिलेगी।
इसके लिए पूजा समिति (Worship Committee) ने बड़े पैमाने पर तैयारियां की हैं। पूरा पंडाल बांस कला की थीम पर तैयार किया जा रहा है जो श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र होगा।
इसके लिए बांस हस्तशिल्प से जुड़े कुशल कारीगरों को बंगाल के मायापुर, वर्द्धमान से खासतौर पर बुलाया गया है। पिछले 20 दिनों से दर्जनभर कारीगर पंडाल को अंतिम रूप देने में लगे हैं।
मुख्य कारीगर कुंतल हाजरा एवं सुदीप दास ने बताया कि पंडाल निर्माण में बांस को पारंपरिक रूप से इस्तेमाल किया जा रहा है। पंडाल पूरी तरह इको फ्रेंडली होगा।
रांची के प्रसिद्ध मूर्तिकार अजय पाल बना रहे हैं मां दुर्गा की प्रतिमा
पूजा समिति के अध्यक्ष अनूप साहू एवं महामंत्री रंजीत प्रसाद (General Secretary Ranjit Prasad) ने बताया की 45 फीट उंचे और 100 फीट चौड़े पंडाल की साज-सज्जा में बांस हस्तशिल्प कला को ही प्रमुखता दी गयी है।
पंडाल में बांस के अलावा कुछ भी नजर नही आयेगा। उन्होंने बताया कि पंडाल और आसपास के क्षेत्रों में मनोहरी विद्युत सज्जा भी की जायेगी।
पंडाल में सुंदर आंतरिक सज्जा के साथ ही रांची के प्रसिद्ध मूर्तिकार अजय पाल द्वारा बनायी जा रही 12 फीट ऊंची जीवंत प्रतिमा श्रद्धालुओं को विशेष रूप से आकर्षित करेगी। उन्होंने बताया कि पूरे आयोजन में लगभग 15 लाख रुपये खर्च का अनुमान है।
खूंटी के नेताजी चौक में 1962 से हो रही है पूजा
सार्वजनिक दुर्गा पूजा समिति, नेताजी चौक में दुर्गा पूजा (Durga Puja) का इतिहास 60 वर्ष पुराना है। यहां वर्ष 1962 से लगातार दुर्गा पूजा का आयोजन होता आ रहा है।
प्रारंभ के आठ वर्षों तक यहां देवी गुड़ी मंदिर में दुर्गा पूजा आयोजित की जाती थी। सन् 1970 से मंदिर के बाहर पूजा पंडाल बनाकर पूजा का आयोजन प्रारंभ किया गया।
उसके बाद से शहर के लोगों के सहयोग से यहां भव्य पूजा पंडाल (Grand puja pandal) का निर्माण होने लगा जो अनवरत जारी है।
दो साल के अंतराल के बाद इस साल दुर्गा पूजा को लेकर आम लोगों में अलग तरह का उत्साह देखा जा रहा है। समिति के लोग भी उसी के अनुरूप पूजा की तैयारियों में जुटे हैं।