नई दिल्ली: गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने कहा कि संविधान की उद्देशिका में रेखांकित न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुता के जीवन-मूल्य हम सबके लिए पुनीत आदर्श हैं।
राष्ट्रपति ने अपने भाषण में कहा, संविधान की उद्देशिका में रेखांकित न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुता के जीवन-मूल्य हम सबके लिए पुनीत आदर्श हैं।
यह उम्मीद की जाती है कि केवल शासन की जिम्मेदारी निभाने वाले लोग ही नहीं, बल्कि हम सभी सामान्य नागरिक भी इन आदशरें का ²ढ़ता व निष्ठापूर्वक पालन करें।
राष्ट्रपति ने कहा, बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपत राय, महात्मा गांधी और सुभाष चंद्र बोस जैसे अनेक महान जन नायकों और विचारकों ने हमारे स्वतंत्रता संग्राम को प्रेरित किया था।
मातृभूमि के स्वर्णिम भविष्य की उनकी परिकल्पनाएं अलग-अलग थीं, परंतु न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुता के मूल्यों ने उनके सपनों को एक सूत्र में पिरोने का काम किया।
उन्होंने कहा, मैं सोचता हूं कि हम सबको अतीत में और भी पीछे जाकर, यह जानने का प्रयास करना चाहिए कि यही मूल्य हमारे राष्ट्र-निमार्ताओं के लिए आदर्श क्यों बने ?
इसका उत्तर स्पष्ट है कि अनादि-काल से यह धरती और यहां की सभ्यता इन जीवन-मूल्यों को संजोती रही है।
न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुता हमारे जीवन-दर्शन के शाश्वत सिद्धांत हैं।
इनका अनवरत प्रवाह हमारी सभ्यता के आरंभ से ही हम सबके जीवन को समृद्ध करता रहा है।
हर नई पीढ़ी का यह दायित्व है कि समय के अनुरूप इन मूल्यों की सार्थकता स्थापित करे।
हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने यह दायित्व अपने समय में बखूबी निभाया।
उसी प्रकार आज के संदर्भ में हमें भी उन मूल्यों को सार्थक और उपयोगी बनाना है।
इन्हीं सिद्धांतों से आलोकित पथ पर हमारी विकास यात्रा को निरंतर आगे बढ़ते रहना चाहिए।
राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने महामारी के दौरान प्रतिकूल समय पर देश की सेवा करने के लिए किसानों, वैज्ञानिकों और सैनिकों का स्वागत किया।
उन्होंने कहा, हमारे सभी किसान, सैनिक और वैज्ञानिक विशेष प्रशंसा के पात्र हैं और गणतंत्र दिवस के इस शुभ अवसर पर एक कृतज्ञ राष्ट्र उन्हें बधाई देता है।
राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा, इतनी विशाल आबादी वाले हमारे देश को खाद्यान्न एवं डेयरी उत्पादों में आत्म-निर्भर बनाने वाले हमारे किसान भाई-बहनों का सभी देशवासी हृदय से अभिनंदन करते हैं।
विपरीत प्राकृतिक परिस्थितियों, अनेक चुनौतियों और कोविड की आपदा के बावजूद हमारे किसान भाई-बहनों ने कृषि उत्पादन में कोई कमी नहीं आने दी।
यह कृतज्ञ देश हमारे अन्नदाता किसानों के कल्याण के लिए पूर्णतया प्रतिबद्ध है।
उन्होंने कहा, जिस प्रकार हमारे परिश्रमी किसान देश की खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने में सफल रहे हैं, उसी तरह हमारी सेनाओं के बहादुर जवान कठोरतम परिस्थितियों में देश की सीमाओं की सुरक्षा करते रहे हैं।
लद्दाख में स्थित सियाचिन व गलवान घाटी में माइनस 50 से 60 डिग्री सेन्टीग्रेड तापमान में सब कुछ जमा देने वाली सर्दी से लेकर जैसलमर में 50 डिग्री सेन्टीग्रेड से ऊपर के तापमान में झुलसा देने वाली गर्मी में धरती, आकाश और विशाल तटीय क्षेत्रों में हमारे सेनानी भारत की सुरक्षा का दायित्व हर पल निभाते हैं।
हमारे सैनिकों की बहादुरी, देशप्रेम और बलिदान पर हम सभी देशवासियों को गर्व है।
वैज्ञानिक समुदाय को बधाई देते हुए राष्ट्रपति ने कहा, खाद्य सुरक्षा, सैन्य सुरक्षा, आपदाओं तथा बीमारी से सुरक्षा एवं विकास के विभिन्न क्षेत्रों में हमारे वैज्ञानिकों ने अपने योगदान से राष्ट्रीय प्रयासों को शक्ति दी है।
अंतरिक्ष से लेकर खेत-खलिहानों तक, शिक्षण संस्थानों से लेकर अस्पतालों तक, वैज्ञानिक समुदाय ने हमारे जीवन और कामकाज को बेहतर बनाया है।
दिन-रात परिश्रम करते हुए कोरोनावायरस को डी-कोड करके तथा बहुत कम समय में ही वैक्सीन को विकसित करके हमारे वैज्ञानिकों ने पूरी मानवता के कल्याण हेतु एक नया इतिहास रचा है।
कोविंद ने उन लोगों को श्रद्धांजलि भी दी, जिन्होंने महामारी में अपना जीवन खो दिया है।
उन्होंने संकट को एक अवसर में परिवर्तित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सराहना भी की।
राष्ट्रपति ने कहा, आपदा को अवसर में बदलते हुए, प्रधानमंत्री ने आत्म-निर्भर भारत अभियान का आह्वान किया।
हमारा जीवंत लोकतंत्र, हमारे कर्मठ व प्रतिभावान देशवासी – विशेषकर हमारी युवा आबादी – आत्म-निर्भर भारत के निर्माण के हमारे प्रयासों को ऊर्जा प्रदान कर रहे हैं।
राष्ट्रपति ने महामारी के खतरे के बावजूद बिहार, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेशों में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग की सराहना की।