दिल्ली: पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ राऊज एवेन्यू कोर्ट में दायर मानहानि के मामले पर सुनवाई के दौरान पूर्व मंत्री एमजे अकबर ने कहा कि रमानी के ट्वीट दुर्भावना से भरे थे। इस मामले पर अगली सुनवाई 7 जनवरी को होगी।
सुनवाई के दौरान एमजे अकबर की ओर से वरिष्ठ वकील गीता लूथरा ने रमानी के ट्वीट को पढ़ते हुए कहा कि वे अपमानजनक और दुर्भावना से भरे हुए थे।
उन्होंने कहा कि रमानी ने कोर्ट के बाहर ट्रायल चलाने की कोशिश की।
न्यायिक प्रक्रिया कोर्ट में ही चल सकती है, कोई खुद कानून नहीं बन सकता है।
लूथरा ने रमानी के क्रास-एग्जामिनेशन को पढ़ते हुए कहा कि एक ही झूठ को दस लोगों की ओर से कहे जाने का मतलब ये नहीं है कि वो सच बन जाएगा।
लूथरा ने कहा कि एक पत्रकार होने के नाते रमानी को सच्चाई का पता करना चाहिए था।
उन्होंने कहा कि रमानी ने कोर्ट के समक्ष झूठे बयान दिए हैं। ये बयान उनके बचाव के लिए घातक हैं।
लूथरा ने रमानी के उस बयान को पढ़ा, जिसमें कहा गया था कि एमजे अकबर मीडिया के सबसे बड़े सेक्सुअल शिकारी (predator) हैं। उनका ये बयान किसी ठोस साक्ष्य पर आधारित नहीं है।
24 दिसम्बर, 2020 को लूथरा ने कहा था कि प्रिया रमानी की ओर से उनके खिलाफ अपमानजनक ट्वीट कर उसे हटा देना उनकी खराब नीयत के बारे में बताता है।
ट्रायल के दौरान ऐसा करना कोर्ट की कार्रवाई में बाधा डालने के समान है।
उन्होंने कहा था कि रमानी के आलेख मानहानि वाले थे।
उन्होंने कहा था कि रमानी ने अपने बयान में एमजे अकबर को शिकारी (predator) कहा है।
उन्होंने लॉ डिक्शनरी से इसका मतलब बताते हुए कहा था कि यौन शिकारी वह होता है जो हिंसक यौन कृत्य करता है।
रमानी ऐसी दलील अपने बचाव में नहीं दे सकती हैं। ऐसा कर उन्होंने एमजे अकबर की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया है।
पिछले 18 दिसम्बर को प्रिया रमानी ने कहा था कि एमजे अकबर पाक-साफ नहीं हैं।
प्रिया रमानी की ओर से वरिष्ठ वकील रेबेका जॉन ने कहा था कि एमजे अकबर पाक-साफ नहीं हैं।
उन्होंने कहा था कि एमजे अकबर ने अपनी पूरी शिकायत में प्रिया रमानी के आलेख और ट्वीट का जिक्र किया है।
जॉन ने कहा था कि एमजे अकबर को दूसरी 15 महिलाओं की शिकायतों के बारे में भी निष्पक्ष खुलासा करना चाहिए था।
ये महिलाएं एक-दूसरे को नहीं जानती थीं। उन्होंने कहा था कि गजाला वहाब ने अपने अनुभवों के बारे में लिखा था।
दूसरी महिलाओं ने भी ट्विटर पर लिखा था, लेकिन उन्होंने केवल हमारे खिलाफ शिकायत की।
अकबर को ये जरूर बताना चाहिए कि जिन दूसरी महिलाओं ने ये शिकायत की उनकी शिकायत भी झूठी है।
अकबर तथ्यों को छिपा रहे हैं।
एमजे अकबर ने 15 अक्टूबर, 2018 को प्रिया रमानी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया था।
उन्होंने प्रिया रमानी द्वारा अपने खिलाफ यौन प्रताड़ना का आरोप लगाने के बाद ये आपराधिक मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया है।
18 अक्टूबर, 2018 को कोर्ट ने एमजे अकबर की आपराधिक मानहानि की याचिका पर संज्ञान लिया था।
25 फरवरी, 2019 को कोर्ट ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और पत्रकार एमजे अकबर द्वारा दायर आपराधिक मानहानि के मामले में पत्रकार प्रिया रमानी को जमानत दी थी।
कोर्ट ने प्रिया रमानी को दस हजार रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दी थी। कोर्ट ने 10 अप्रैल, 2019 को प्रिया रमानी के खिलाफ आरोप तय किए थे।