Problem of Pathogenic Mutation: जिंदगी में सभी कामों के लिए एक उचित समय होता है। शादी विवाह से लेकर बच्चा पैदा करने तक। पिता बनने में देरी करने से बच्चों को जन्मजात बीमारियां होने की संभावना अधिक है। Genome Biology और Evolution में हुए एक शोध में यह दावा किया गया है।
कम उम्र में जन्मजात विकार वाले जीन के वैरिएंट मौजूद होते हैं, जो उम्र बढ़ने के बाद पिता बनने पर शिशुओं में आ जाते हैं। ऑस्ट्रिया के Johannes Kepler University के शोधकर्ताओं ने 23 से 59 साल के पुरुषों के स्पर्म के नमूने पर रिसर्च किया और दावा किया कि अधिक उम्र में पिता बनने पर उनके बच्चों में हड्डी और दिल से जुड़े विकार की संभावना अधिक होती है।
फाइब्रोब्लास्ट ग्रोथ फैक्टर रिसेप्टर 3 (FGFR3) नामक प्रोटीन किडनी, दिमाग, कार्टिलेज और आंत समेत ऊतकों में मौजूद होता है। इस तरह का म्यूटेशन पुरुषों के जीन में अधिक देखा जाता है।
23 से 59 साल के पुरुषों पर आस्ट्रिया में किया शोध
क्या होता है पैथोजेनिक म्यूटेशन
इस शोध के प्रमुख आयरीन Tymon Boyz ने कहा, ‘युवा पिता को भी पैथोजेनिक म्यूटेशन का खतरा होता है।’ एक जीन के DNA अनुक्रम में परिवर्तन जिसके कारण आनुवंशिक विकार या बीमारी होने का खतरा होता है।
रोगजनक वेरिएंट माता-पिता से विरासत में मिल सकते हैं। इनमें ऑटिज्म, एकॉन्ड्रॉप्लासिया, सिजोफ्रेनिया, नूनन सिंड्रोम, न्यूरो से संबंधित समस्याएं शामिल हैं।
DNA में स्थायी बदलाव होता है म्यूटेशन
जीन के DNA में स्थायी बदलाव को म्यूटेशन कहते हैं। यह कोशिकाओं के विभाजन के समय किसी विकार के कारण पैदा हो सकता है या फिर पराबैंगनी विकिरण की वजह से या रासायनिक तत्त्व या Virus से भी हो सकता है।
ऑस्ट्रिया की क्लिनिक में शोधकर्ताओं को पता चला कि FGFR3 वैरिएंट एकॉन्ड्रोप्लासिया से जुड़ा होता है, जो छोटे कद यानि नाटेपन की बीमारी से जुड़ा होता है।