गाजीपुर बॉर्डर (नई दिल्ली/उप्र): कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों को अब बरसात की मार झेलनी पड़ रही है। रविवार सुबह आई बारिश ने किसानों की परेशानी बढ़ा दी है।
किसानों द्वारा बनाए गए तम्बुओं में पानी भरने लगा और ओढ़ने के कम्बल भी भींगने लगे।
रविवार सुबह दिल्ली एनसीआर में झमा झम बारिश हुई। गाजीपुर बॉर्डर पर बैठे किसान जहां एक तरफ सर्द भरी हवाओं से जूझ रहे थे, तो वहीं अचानक आई बारिश ने किसानों की समस्याओं को दो गुना बढ़ा दिया।
बॉर्डर पर बैठी महिलाओं, बच्चों और बुजुर्ग किसानों को बारिश की माल झेलनी पड़ी।
किसानों की व्यवस्थाओं पर बारिश ने पानी फेर दिया।
किसान जहां एक तरफ बारिश से कैसे बचा जाए, इसकी तैयारी कर रहा था, तो वहीं बॉर्डर पर खाने की सामग्रियों को भी बचाने के लिए जूझता दिखा।
गाजीपुर बॉर्डर पर सुबह हुई बारिश के हालातों और किसानों की स्थिति बताते हुए भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने बताया, जैसे पहाड़ो पर बारिश का पानी नीचे गिरता है उसी तरह यहां की स्थिति बनी हुई है।
किसानों के टेंट यहां लगे हुए हैं। किसान यहां बीते एक महीने से रह रहे हैं।
मैं अपील करना चाहूंगा किसान भाइयों से कि जो भी किसान गाजीपुर बॉर्डर पर आएं, वो अपने ट्रैक्टर पर पॉलीथिन, त्रिपाल अन्य सारी चीजें लेकर आएं।
हालांकि जब बारिश थमी तो फिर से लंगर सेवा शुरू हो गई।
एक तरफ कुछ प्रदर्शनकारी किसान बारिश से बचने के उपाय तलाश रहे हैं तो वहीं कुछ किसान अन्य किसान भाइयों की सेवा में लगे हुए हैं।
प्रदर्शनकारी किसान ने बताया कि, ये परमात्मा की मर्जी है और किसान अन्नदाता और परमात्मा यही दो शक्ति है।
जो अन्नदाता खेतों में काम करता था वह सड़क पर है।
सरकार को तुरंत कानूनों को वापस लेना चाहिए और नए वर्ष पर किसानों को शुभकामनाएं देना चाहिए।
हालांकि जिन तंबुओं के पास जल भराव हुआ है नौजवान किसान उनकी निकासी कर रहे है और वाइपर से सड़कों पर कीचड़ निकाल रहे हैं।