Putin Government in Russia Again: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) ने एक बड़ी घोषणा की है। बता दें कि वे 2024 में होने वाले अगले चुनाव में राष्ट्रपति पद के लिए लड़ेंगे। पुतिन ने इस घोषणा से छह साल के एक और कार्यकाल के लिए अपनी इच्छा जाहिर कर दी है, जिसमें उनका जीतना तय माना जा रहा है।
यूक्रेन युद्ध में रूस का नुकसान
लगभग एक चौथाई सदी तक सत्ता में रहने के बाद और यूक्रेन युद्ध के काफी महंगा साबित होने के बावजूद पुतिन को अभी भी व्यापक समर्थन प्राप्त है। यूक्रेन युद्ध में रूस के भी हजारों लोग मारे गए हैं और इसकी वजह से रूस के भीतर बार-बार हमले हुए हैं।
वहीं जून में Yevgeny Prigozhin द्वारा किए गए विद्रोह के बाद से व्यापक अटकलें लगने लगी थीं कि पुतिन अपनी पकड़ खो सकते हैं, लेकिन वह स्थिति पर नियंत्रण पाने में सफल रहे।
71 वर्षीय पुतिन ने अभी तक फिर से चुनाव लड़ने के अपने इरादे की घोषणा नहीं की थी, लेकिन व्यापक रूप से उम्मीद जताई जा रही थी कि चुनाव का दिन निर्धारित होने के बाद वह जल्द ही ऐसा करेंगे। रूस के केंद्रीय चुनाव आयोग (Central Election Commission ) ने राष्ट्रपति अभियान पर शुक्रवार को एक बैठक आयोजित करने की योजना बनाई है।
पुतिन के खिलाफ कौन खड़ा होगा
अगले साल पुतिन के खिलाफ कौन खड़ा होगा यह स्पष्ट नहीं है। जेल में बंद विपक्षी नेता Alexey Navalny ने गुरुवार को एक Online बयान में अपने समर्थकों से पुतिन के अलावा किसी और को वोट देने का आग्रह किया।
नवलनी की टीम के सदस्यों ने गुरुवार को कहा कि उन्होंने Moscow, St. Petersburg और अन्य रूसी शहरों में कई बिलबोर्ड लगाए हैं, जिसमें Link और QR code रूसी राष्ट्रपति के खिलाफ उनके अभियान की Website तक ले जाते हैं। जिसका शीर्षक रखा गया है “पुतिन के बिना रूस”। वहीं Associated Press की माने तो इस तरह के कुछ बिलबोर्ड पहले ही हटा दिए गए थे।
पुतिन का जीतना लगभग तय
रूस में किए गए संवैधानिक सुधारों के तहत पुतिन अगले साल अपने मौजूदा कार्यकाल की समाप्ति के बाद दो और छह साल के कार्यकाल की के पात्र हैं, जिस वजह से साल 2036 तक उनके सत्ता में बने रहने की अनुमति मिल जाती है।
सत्ता में 20 से अधिक वर्षों के दौरान उन्होंने रूस की राजनीतिक व्यवस्था पर कड़ा नियंत्रण स्थापित किया है, जिससे मार्च में उनका पुन: चुनाव में जीतकर आना लगभग तय हो गया है।
जो आलोचक उन्हें चुनाव के दौरान चुनौती दे सकते थे, वे या तो जेल में हैं या विदेश में रह रहे हैं। वहीं अधिकांश स्वतंत्र मीडिया पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। ऐसा प्रतीत होता है कि न तो यूक्रेन के साथ जंग, न ही पिछली गर्मियों में प्रिगोझिन के विद्रोह ने उनकी लोकप्रियता पर प्रभाव डाला है।