कतर में भारत के 8 पूर्व नौसैनिकों को मौत की सजा, भारत में कूटनीतिक गतिविधि …

कतर की एक अदालत के फैसले ने भारत में कूटनीतिक गतिविधियां बढ़ा दी है। भारत के विदेश मंत्रालय ने इस फैसले पर सधी प्रतिक्रिया दी है और तल्खी वाला रुख अपनाने से परहेज किया है

News Aroma Media

Indian Navy in Qatar : खाड़ी के इस छोटे से देश ने भारत के आठ पूर्व नौसैनिक अधिकारियों (Former Naval Officers) को कथित जासूसी के आरोप (Espionage charges) में मौत की सजा सुनाई है।

देश का नाम ‘कतर’ है। कतर की एक अदालत के फैसले ने भारत में कूटनीतिक गतिविधियां बढ़ा दी है। भारत के विदेश मंत्रालय ने इस फैसले पर सधी प्रतिक्रिया दी है और तल्खी वाला रुख अपनाने से परहेज किया है।

भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा…

भारत के विदेश मंत्रालय (Foreign Ministry) ने कहा है कि वो नौसेना के इन आठ अफसरों को हर तरह की मदद मुहैया कराने को तैयार है। विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को इस मामले को दुखद करार दिया।

विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत इस मामले में सभी कानूनी रास्तों की तलाश करेगी, साथ ही इस केस को कतर की सरकार के सामने उठाएगी।
भारत जब इस केस में कानूनी विकल्पों की बात करता है तो भारत के सामने कई रास्ते खुलते हैं।

सबसे पहले भारत तो कतर की न्यायिक प्रक्रिया के अनुरुप इस फैसले के खिलाफ वहां की बड़ी अदालतों में अपील कर सकता है। सनद रहे कि कतर से आया ये फैसला वहां की निचली अदालत का है।

इस विकल्प पर विचार कर सकता है भारत

लेकिन एक विकल्प जो भारत और कतर दोनों की मुश्किल आसान कर सकता है, मौत की सजा पाए 8 अफसरों को राहत दे सकता है और जिससे दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंधों पर भी ज्यादा असर नहीं पड़ेगा वो रास्ता है भारत और कतर के बीच साल 2015 में हुआ एक समझौता।

कैसे होता है सजा का फैसला

इस समझौते के तहत अगर भारत के किसी नागरिक को कतर में अथवा कतर के किसी नागरिक को भारत में सजा सुनाई जाती है तो ऐसे व्यक्तियों को उनके मुल्क प्रत्यर्पित किया जा सकता है, जहां वो अपनी बाकी सजा पूरी कर सकें।

बता दें कि 2015 में कतर के राष्ट्राध्यक्ष तमीम बिन हमद अल थानी ने भारत का दौरा किया था। फिर 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) कतर की यात्रा पर गए थे।
इस फैसले का उद्देश्य सजायाफ्ता कैदियों को उनके परिवारों के पास रहने में सक्षम बनाना और उनके सामाजिक पुनर्वास की प्रक्रिया में मदद करना है।

भारत के सामने होगी ये चुनौती

हालांकि भारत अगर इस विकल्प को अपनाता है तो भारत के सामने दो बड़ी चुनौतियां सामने आएंगी। पहली बात तो यह है कि अगर भारत इस विकल्प का इस्तेमाल करता है तो इसका अर्थ यह होगा कि भारत को ये मानना पड़ेगा कि उसकी नौसेना के 8 पूर्व अधिकारी जासूसी के दोषी हैं। क्योंकि इस समझौते के तहत सिर्फ सजायाफ्ता कैदियों की ही अदला-बदली हो सकती है।

भारत अगर सार्वजनिक रूप से ये मानता है कि उसकी नौसेना (Navy) के पूर्व अधिकारी जासूसी के दोषी हैं तो ये देश की साख के लिए काफी नुकसानदेह साबित होगा।

ऐसे मौके पर जब कनाडा भारत के राजनयिकों पर जासूसी के आरोप लगा चुका है, भारत इस कथित आरोप को कतई स्वीकार नहीं करना चाहेगा। इसके अलावा पाकिस्तान की जेल में बंद Navy के पूर्व ऑफिसर कुलभूषण जाधव पर भी पाकिस्तान ने ऐसे ही मिथ्या आरोप लगाए हैं।

भारत अगर कतर के मामले में अपने नागरिकों को दोषी मानता है तो पाकिस्तान के आरोपों को बल मिल सकता है। हाल-फिलहाल में ग्लोबल फोरम पर भारत की जो साख बढ़ी है ऐसी स्थिति में भारत कभी नहीं चाहेगा कि वो इस बात को स्वीकार करे कि उसकी नौसेना के पूर्व अधिकारी जासूसी (Spying) के दोषी हैं।

भारत के सामने दूसरा विकल्प

हालांकि यहां ध्यान देने की बात यह भी है कि न तो भारत ने और न ही कतर ने नौसेना के इन पूर्व अधिकारियों पर लगे आरोपों की डिटेल जानकारी दी है, ऐसी स्थिति में संभव है कि अगर इन अधिकारियों को कुछ दूसरे आरोपों के तहत दोषी करार दिया गया हो तो भारत इस विकल्प का इस्तेमाल करना चाहेगा।

इस विकल्प के इस्तेमाल करने पर भारत के सामने दूसरी चुनौती यह होगी कि कतर कैदियों की अदला-बदली के इस प्रस्ताव को स्वीकार करे। क्योंकि ऐसा तभी संभव है जब कतर की सरकार इस प्रस्ताव को मंजूरी देगी। कतर में भारतीय दूतावस ने इस प्रक्रिया की पूरी जानकारी दी है।

भारतीय दूतावस की Website के मुताबिक जो कैदी स्थानांतरित होना चाहता है उसे भारतीय दूतावास या वाणिज्य दूतावास को अपनी इच्छा के बारे में सूचित करना चाहिए।

फिर उसके आवेदन को विदेश की सरकार (जहां उसे सजा हुई है) और भारत सरकार द्वारा अनुमोदित किया जाना चाहिए। इसके अलावा ऐसे कैदी के खिलाफ उस देश में कोई और मामला लंबित नहीं होना चाहिए। ऐसी जटिल जिओ-पॉलिटिकल (Complex Geo-Political) स्थिति में कतर से नौसेना के पूर्व अफसरों को सुरक्षित वापसी भारत की विदेश नीति की परीक्षा साबित होने वाली है।