सुप्रीम कोर्ट पहुंचे राहुल गांधी, संसद सदस्यता रद्द करने के खिलाफ दाखिल की याचिका

इसी के साथ, वो व्यक्ति सजा पूरी होने के बाद जन प्रतिनिधि बनने के लिए छह साल तक आयोग्य ही रहेगा। साफ है अगर सजा का फैसला बरकरार रहता है तो व्यक्ति 8 साल तक कोई चुनाव (Election) नहीं लड़ पाएगा

News Desk
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नई दिल्ली : मानहानि के मामले (Defamation Cases) में Congress नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) पर सूरत कोर्ट (Surat Court) द्वारा सजा का प्रावधान करने के बाद अब संसद सदस्यता रद्द करने के खिलाफ शनिवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में याचिका दाखिल की है।

बता दें कि केरल (Kerala) की रहने वाली आभा मुरलीधरन ने राहुल गांधी के मामले का हवाला देते हुए Supreme Court में याचिका दाखिल की है।

बताया जा रहा है कि, याचिका में महिला ने जनप्रतिनिधित्व कानून (Representation of the People Act) की धारा 8(3) को असंवैधानिक करार देने की मांग की है।

सुप्रीम कोर्ट पहुंचे राहुल गांधी, संसद सदस्यता रद्द करने के खिलाफ दाखिल की याचिका- Rahul Gandhi reached the Supreme Court, filed a petition against the cancellation of Parliament membership

रद्द हो गयी लोकसभा की सदस्यता

बता दें कि केरल (Kerala) की वायनाड संसदीय सीट (Wayanad Parliamentary Seat) का प्रतिनिधित्व कर रहे राहुल गांधी को शुक्रवार (24 मार्च) को लोकसभा (Lok Sabha) की सदस्यता के लिए अयोग्य ठहराया गया।

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लोकसभा सचिवालय (Lok Sabha Secretariat) की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि उनकी अयोग्यता संबंधी आदेश 23 मार्च से प्रभावी होगा।

अधिसूचना में कहा गया है कि उन्हें (Rahul Gandhi) संविधान के अनुच्छेद 102 (1) और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 धारा 8 के तहत अयोग्य घोषित किया गया है।

सुप्रीम कोर्ट पहुंचे राहुल गांधी, संसद सदस्यता रद्द करने के खिलाफ दाखिल की याचिका- Rahul Gandhi reached the Supreme Court, filed a petition against the cancellation of Parliament membership

राहुल गांधी 8 साल तक नहीं लड़ पाएंगे चुनाव ?

जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 (Representation of the People Act 1951) के तहत दो साल या उससे अधिक समय के लिए कारावास की सजा (Prison Sentence) पाने वाले व्यक्ति को ‘दोष सिद्धि की तारीख से’ अयोग्य घोषित (Disqualified) किया जाता है।

इसी के साथ, वो व्यक्ति सजा पूरी होने के बाद जन प्रतिनिधि बनने के लिए छह साल तक आयोग्य ही रहेगा। साफ है अगर सजा का फैसला बरकरार रहता है तो व्यक्ति 8 साल तक कोई चुनाव (Election) नहीं लड़ पाएगा।

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