नई दिल्ली: भारतीय रेलवे, जिसने कोविड महामारी के कारण अपने इतिहास में पहली बार अपनी पैसेंजर, मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों को निलंबित कर दिया था, उसे अब अगले कुछ महीनों में अपने परिचालन अनुपात (ऑपरेटिंग रेश्यो) में सुधार और खर्च एवं राजस्व के बीच संतुलन की उम्मीद है।
अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
रेलवे अधिकारियों के अनुसार, ऑपरेटिंग रेश्यो दर्शाता है कि राष्ट्रीय ट्रांसपोर्टर कितनी कुशलता से काम कर रहा है और यह वित्तीय तौर पर कितना मजबूत है।
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने दिसंबर 2019 में संसद में पेश की गई अपनी रिपोर्ट में कहा था कि 2017-18 में रेलवे ने 98.44 प्रतिशत का परिचालन अनुपात दर्ज किया है, जो पिछले 10 वर्षों में सबसे खराब है।
पिछले साल भी कैग ने अपनी रिपोर्ट में रेलवे को यह कहते हुए फटकार लगाई कि उसने अपनी गणना में अग्रिम भाड़ा भुगतान को शामिल करते हुए वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान अपने परिचालन अनुपात को बेहतर पेश करने के लिए विंडो ड्रेसिंग का सहारा लिया था।
रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने आईएएनएस को बताया, भारतीय रेलवे में पहले से ही कुछ चीजें अपनाई गई हैं। हमारे खर्च में भारी कमी है, क्योंकि हमने संसाधनों का अनुकूलन (परिस्थिति का इष्टतम उपयोग) किया है।
यह देखते हुए कि राष्ट्रीय ट्रांसपोर्टर को इससे लगभग 18,000 करोड़ रुपये की बचत होने की संभावना है, उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय रेलवे ने ईंधन की लागत को कम करने जैसे अन्य संसाधनों का भी अनुकूलन किया है।
उन्होंने कहा, हम ईंधन पर बहुत अधिक राशि खर्च करते थे, जो अब काफी कम हो गई है, इस प्रकार रेलवे के लिए अधिक बचत हो रही है।
माल व्यवसाय में वृद्धि का हवाला देते हुए, अधिकारी ने कहा कि रेलवे ने माल ढुलाई सेवाओं में भी बहुत अच्छा किया है। उन्होंने कहा, असाधारण माल भाड़े के प्रदर्शन से फर्क पड़ा है। माल ढुलाई में आमदनी बढ़ी है।
रेलवे अधिकारी ने कहा कि राष्ट्रव्यापी बंद के दौरान यात्री, मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों का परिचालन नहीं होने के बावजूद, मालभाड़े के कारोबार ने रेलवे को हुए नुकसान को पूरा करने में मदद की है।
रेलवे ने कोविड-19 महामारी के मद्देनजर मेल, एक्सप्रेस और पैसेंजर ट्रेन सेवाओं को निलंबित कर दिया था। अब रेलवे देश भर में अपने कुल मेल, एक्सप्रेस और यात्री सेवाओं के 60 प्रतिशत से अधिक का परिचालन कर रहा है।
अधिकारी ने कहा कि वे अगले आने वाले महीनों में परिचालन अनुपात में 95 और 96 प्रतिशत के सुधार की उम्मीद कर रहे हैं।
पेंशन देयता के बारे में पूछे जाने पर, अधिकारी ने कहा कि रेलवे एक कमाई का उपक्रम है और दुनिया में ऐसी कोई जगह नहीं, जहां पेंशन भुगतान को काम के खर्च (वकिर्ंग एक्सपेंस) के रूप में लिया जाता है।
एक अन्य रेलवे अधिकारी ने कहा कि चालू वित्त वर्ष की शुरूआत में पेंशन देयता 53,160 करोड़ रुपये थी।