नई दिल्ली: Suprem Court (सुप्रीम कोर्ट) ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी (Former Prime Minister Rajiv Gandhi)
के सभी हत्यारों को रिहा कर दिया है। रविचंद्रन और नलिनी श्रीहरन की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट (Suprem Court) ने शुक्रवार को रिहा करने का फैसला सुनाया।
नलिनी ने कहा मैं आतंकवादी (Terrorist) नहीं हूं।
नलिनी ने कहा मैं इतने सालों से जेल में सड़ रही थी। मैं पिछले 32 साल से संघर्ष कर रही हूं। इस दौरान जिन लोगों ने हमारा साथ दिया, उनका शुक्रिया अदा करती हूं।
मैं तमिलनाडु के लोगों और वकीलों को मुझपर भरोसा रखने के लिए धन्यवाद देती हूं।
एजी पेरिवलन के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को आधार बनाया
इससे पहले, एससी में तमिलनाडु सरकार ने बताया था कि वह राजीव गांधी हत्या मामले में उम्रकैद की सजा काट रही नलिनी श्रीहरन और आरपी रविचंद्रन की समय से पूर्व रिहाई के पक्ष में है।
मद्रास हाईकोर्ट (Madaras High Court) से अर्जी खारिज होने के बाद इन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच ने एक अन्य दोषी, एजी पेरिवलन के मामले में सुप्रीम कोर्ट (Suprem Court) के फैसले को आधार बनाया।
18 मई को, संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत मिली शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए पेरिवलन की रिहाई के आदेश दिए थे।
पेरिवलन को 30 साल से ज्यादा जेल में रहने के बाद रिहा किया गया
श्रीहरन, रविचंद्रन, संथन, मुरुगन, एजी पेरिवलन, रॉबर्ट पायस और जयकुमार को उम्रकैद की सजा हुई थी। पेरिवलन को 30 साल से
ज्यादा जेल में रहने के बाद रिहा किया गया। नलिनी और रविचंद्रन, दोनों ही पिछले साल 27 दिसंबर से परोल पर हैं।
सातों मुजरिमो को रिहा करने की सिफारिश की
इन सभी को राजीव गांधी की हत्या के मामले में टाडा के तहत दोषी करार दिया गया था।
नलिनी सहित 25 लोगों को फांसी की सजा टाडा के स्पेशल कोर्ट ने 1998 में सुनवाई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 19 दोषियों को बरी कर दिया था, जबकि चार की फांसी की सजा बरकरार रखी थी और उनमें नलिनी का भी नाम था। अन्य तीन को उम्रकैद की सजा दी गई थी।
सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई, जिसका फैसला अब आया
बाद में तमिलनाडु सरकार ने 2000 में नलिनी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था। बाकी की सजा भी उम्रकैद में तब्दील हो गई।
2018 में AIADM के कैबिनेट ने गवर्नर से उम्रकैद की सजा काट रहे सभी सातों मुजरिमो को रिहा करने की सिफारिश की थी, लेकिन राज्यपाल से इसकी इजाजत नहीं मिली थी।
इसी बीच एक मुजरिम पेरारिवालन को सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद-142 की शक्ति का इस्तेमाल करते हुए रिहा करने का आदेश दे दिया था। इसके बाद नलिनी और दूसरे मुजरिम ने इस आधार पर मद्रास हाईकोर्ट (Madaras High Court) से गुहार लगाई कि उन्हें भी रिहा किया जाना चाहिए, लेकिन राहत नहीं मिलने पर सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई, जिसका फैसला अब आया है।