Advocate Kapil Sibal: वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल (Senior lawyer Kapil Sibal) ने असम को लेकर बड़ा दावा किया और कहा कि यह म्यांमार की हिस्सा हुआ करता था।
सिब्बल के दावे पर असम सरकार के प्रवक्ता पियूष हजारिका (Spokesperson Piyush Hazarika) ने कहा है कि महाभारत काल से ही असम भारतवर्ष का हिस्सा था।
वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने रखे अपने तर्क
धारा 6A कुछ विदेशी प्रवासियों को नागरिकता के लिए आवेदन करने का अधिकार दिया गया है। ये वे प्रवासी हैं जो कि 1966 से 1971 के बीच असम में आए थे। मामले की सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने अपने तर्क रखे।
उन्होंने इतिहास की बात करते हुए कहा कि उन लोगों की पहचान करना बहुत मुश्किल काम है। उन्होंने कहा कि British शासनकाल में असम म्यांमार का हिस्सा था और इसके बाद वह बंटवारे के बाद पूर्वी बंगाल से जुड़ा था। इस तरह से असम में बंगाली Population भी रहती है।
उन्होंने कहा, इतिहास में भी लोगों का असम में आना जाना लगा रहा है और इसको अलग से Map नहीं किया जा सकता। अगर आप असम का इतिहास देखें यही लगेगा कि असम में आने वालों के बारे में पता लगाना बेहद मुश्किल है। उन्होंने कहा, अगर 1824 से पहले की बात करें तो असम म्यांमार क् हिस्सा था।
भारवर्ष का अभिन्न हिस्सा था असम
इसके बाद जब ब्रिटिश लोगों ने जीत हासिल की तो संधि समझौते के तहत इसे Britishers को सौंप दिया गया। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि उस समय वहां के लोग ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ किस तरह का प्रदर्शन कर सकते थे
। वहीं पियूष हजारिका (Piyush Hazarika) ने कहा, असम के इतिहास में यह कभी नहीं रहा कि वह म्यांमार का हिस्सा रहा हो। महाभारत और उससे भी पहले से यह भारवर्ष का अभिन्न हिस्सा था।
सिब्बल ने कहा, कुल मिलाकर इस विवाद का एक ही मूल है कि जो लोग Section 6ए का यह कहकर विरोध कर रहे हैं कि यह बांग्लादेश से आने वाले घुसपैठिकों को वैध कर रही है, वे राज्य की Demography और संस्कृति के साथ खिलवाड़ करना चाहते हैं। CJI चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संवैधानिक पीठ में Justice AS बोपन्ना, MM सुंदरेश, जेबी पारदीवाला और Justice मनोज मिश्रा शामिल थे।