गाजियाबाद: भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने सोमवार को पेश किए वर्ष 2021-22 के बजट पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इसे निराशाजनक बताया है।
उन्होंने कहा है कि बजट में खेती-किसानी के लिए कुछ नहीं है। सरकार का सारा जोर निजीकरण पर है। इससे किसी को कोई फायदा नहीं होगा।
टिकैत ने कहा कि किसान लंबे समय से आंदोलन कर रहे हैं। इसकी झलक बजट में दिखनी चाहिए थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। सरकार सिर्फ अपनी पीठ थपथपा रही है।
उन्होंने कहा है कि पेट्रोल पर ढाई रुपये और डीजल पर 4 रुपये का कृषि सेस भी लगाया है। कहा जा रहा है तेल के दाम नहीं बढ़ेंगे लेकिन आम उपभोक्ता पर ही इसका असर पड़ेगा।
डेढ़ हजार ई-मंडी खोली जाएंगी, इससे निजीकरण को ही बढ़ावा मिलेगा। किसान को इससे फायदा नहीं होगा। कहा कि किसानों की आय दोगुनी करने की योजना जमीन पर नहीं दिखाई दे रही।
बजट में इस पर कुछ ही नहीं है। यह बजट किसान का न होकर कॉरपोरेट का बजट है।
उन्होंने कहा कि सरकार कह रही है कि एमएसपी जारी रहेगी,ये तो पहले से ही थी। इसमें नया कुछ नहीं किया गया।
सरकार ने किसान ऋण की सीमा बढ़ाई है, इससे किसान और कर्ज के जाल में उलझ जाएगा।
उन्होंने कहा है कि सरकार कह रही है कि एमएसपी का डेढ़ गुना दिया लेकिन देश के किसान स्वामीनाथन की रिपोर्ट लागू करने की मांग कर रहे हैं वह सरकार ने नहीं किया।
केंद्र सरकार पुराना ही राग अलाप रही है। बजट से सरकार की नीयत साफ नजर आ रही है कि वह किसानों को कुछ भी देने के मूड में नहीं है।