किसान महापंचायत में राकेश टिकैत ने भरी हुंकार, कहा- तीनों बिल की बर्खास्तगी के अलावा किसान मानने वाला नहीं

News Aroma Media

जींद: जिले के गांव कंडेला गांव में बुधवार को हुई किसान महापंचायत में किसान नेता सरकार के खिलाफ जमकर गरजे।

भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने सीधे-सीधे सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर सरकार ने किसानों की पगड़ी की तरफ हाथ बढ़ाया तो उसकाे इसका परिणाम भुगतना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि तीनों बिलों की बर्खास्तगी के अलावा किसान मानने वाला नहीं है।

टिकैत ने किसान महापंचायत को संबोधित करते हुए कहा कि राजा जब डरता है तो किलेबंदी करता है। मोदी सरकार किसानों से डर के मारे किलेबंदी करने में जुटी हुई है।

उन्होंने कहा कि उनकी कमेटी का ना तो कोई मेम्बर बदला जाएगा और न ही कार्यालय बदला जाएगा। जो भी फैसला होगा, यही 40 सदस्यीय कमेटी फैसला करेगी।

टिकैत ने कहा कि युद्ध में कभी घोड़े नहीं बदले जाते। हम इन्हीं घोड़ों के बल पर किसानों की लड़ाई जीतने में कामयाब होंगे। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे अपने खेत की मिट्टी और पानी की पूजा करें।

युवा जब तक खेत की मिट्टी और पानी की पूजा नहीं करेंगे तो उन्हें आंदोलन का अहसास नहीं होगा। उन्होंने सरकार को चेताते हुए कहा कि अभी तो किसानों ने सिर्फ बिल वापसी की बात कही है।

अगर किसान गद्दी वापसी की बात पर आ गए तो उनका क्या होगा। इस बात को सरकार को भलीभांति सोच लेना चाहिए।

दिल्ली में बॉर्डरों पर किलेबंदी करने पर राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार ने कीलें गाडीं, तार लगवाई लेकिन ये किसान को रोक नहीं सकते हैं।

किसान इन्हें उखाड़ कर अपने घरों में लाएंगे और अपने-अपने गांवों की चौपालों में रखेंगे और आने वाली नस्लों को बताएंगे कि किस प्रकार सरकार ने उनका रास्ता रोकने के लिए प्रोपगंडे रचे थे।

उन्होंने कहा कि यह किलेबंदी सरकार का एक नमूना है, आने वाले दिनों में गरीब की रोटी पर किलेबंदी होगी। किसी भी गरीब की रोटी तिजोरी में बंद न हो, इसीलिए किसानों ने यह आंदोलन शुरू किया है।

टिकैत ने कहा कि अभी सरकार को अक्टूबर तक का वक्त दिया गया है।

आगे जैसे भी हालात रहेंगे, उसी मुताबिक आंदोलन की रूपरेखा तय की जाएगी। उन्होंने कहा कि पिछले 35 साल से किसानों के हित में आंदोलन करते आ रहे हैं।

हमने संसद घेरने की बात भी कही पर लाल किले की बात तो कभी नहीं कही और न ही किसान वहां कभी गए।

लाल किले पर जो लोग गए वो किसान नहीं थे। यह किसानों को बदनाम करने के लिए साजिश रची गयी थी।