रामगढ़ में निकला मुहर्रम का जुलूस

इस दिन को इस्लामिक कल्चर में मातम का दिन भी कहा जाता है, क्योंकि नवासा-ए-रसूल इमाम हुसैन अपने 72 साथियों और परिवार के साथ मजहब-ए-इस्लाम को बचाने, हक और इंसाफ को जिंदा रखने के लिए शहीद हो गए थे

News Aroma Media

रामगढ़: मुहर्रम (Muharram) बच्चों, महिलाओं सहित लोगों पर ढाए गए जुल्म और सितम की कभी न भूली जाने वाली दर्द भरी दास्तां है। इस दिन हजरत इमाम हुसैन (Hazrat Imam Hussain) सहित उनके मासूब बेटे और साथियों को शहीद कर दिया गया था।

कर्बला की जंग सिर्फ जुल्म के खिलाफ थी। इस दिन को इस्लामिक कल्चर (Islamic Culture) में मातम का दिन भी कहा जाता है। क्योंकि नवासा-ए-रसूल इमाम हुसैन अपने 72 साथियों और परिवार के साथ मजहब-ए-इस्लाम को बचाने, हक और इंसाफ को जिंदा रखने के लिए शहीद हो गए थे।

सन 680 में कर्बला नामक स्थान पर एक विशेष धर्म युद्ध हुआ था। यह युद्ध पैगम्बर हजरत मुहम्मद साहब (Prophet Hazrat Muhammad Sahib) के नाती हुसैन इब्न अली तथा यजीद के बीच में था। अपने धर्म की रक्षा करने के लिए इस युद्ध में हुसैन इब्न अली अपने 72 साथियों के साथ न्योछावर हो गए थे।

रामगढ़ में निकाला गया ताजिया जुलूस

रामगढ़ शहर में मुहर्रम के मौके पर विभिन्न कमेटियों के द्वारा ताजिया जुलूस निकाला गया। नईसराय, गोलपार, पूर्णी मंडप, सौदागर मोहल्ला, कांकेबार, दुसाध मुहल्ला, कोयरी टोला कि मुहर्रम कमेटी ने ताजिया बनाकर जुलूस निकाला। शहर के सभी ताजिया जुलूस थाना चौक होते हुए चट्टी बाजार होते हुए पूर्णी मंडप कर्बला तक पहुंचे, जहां ताजिया का विसर्जन किया गया।

डीसी, एसपी और एसडीएम ने लिया सुरक्षा का जायजा

सुरक्षा के दृष्टिकोण से जिला प्रशासन के द्वारा हर चौक चौराहे पर पुलिस और दंडाधिकारी की ड्यूटी लगाई गई थी। थाना चौक और बाजारटांड़ से वाहनों का प्रवेश रोक दिया गया था।

इस दौरान उपायुक्त चंदन कुमार (Chandan Kumar) ने पुलिस अधीक्षक पीयूष पांडे, अनुमंडल पदाधिकारी मोहम्मद जावेद हुसैन सहित अन्य अधिकारियों के साथ जिले के विभिन्न क्षेत्रों का निरीक्षण किया।

मौके पर उपायुक्त एवं पुलिस (Deputy Commissioner & Police) अधीक्षक में विभिन्न क्षेत्रों में आयोजित जुलूस के दौरान लोगों से सुरक्षा का विशेष ध्यान रखने एवं अन्य आवश्यक सावधानियां बरतने की अपील की।