रांची: राजधानी रांची में कोरोना मरीजों को बेड नहीं मिल पा रहे हैं, इसका खुलासा तब हुआ जब रिम्स ने बेड नहीं होने की बात कह कर चार गंभीर रूप से संक्रमित मरीजों को लौटा दिया।
हालांकि, रिम्स से लौटाये गए चार कोरोना संक्रमित मरीजों में दो को सदर अस्पताल व बाकी दो को प्राइवेट हाॅस्पिटल में भर्ती कराया गया है, लेकिन, अब इन मरीजों की परेशानी है कि इनके पैसे इतने पैसे नहीं हैं कि प्राइवेट हाॅस्पिटलों में अपना इलाज करा सकें।
एक्टिव केसेज के आधा भी बेड नहीं
दरअसल, रांची में जिस रफ्तार से कोरोना संक्रमित बढ़ रहे हैं, उतनी तेजी से कोविड हॉस्पिटलों में बेड नहीं बढ़ रहे हैं।
नतीजा किसी भी हॉस्पिटल में गंभीर रूप से संक्रमितों को बेड नहीं मिल पा रहा है।
अधिकतर हॉस्पिटल में आईसीयू और वेंटिलेटर तक पर्याप्त नहीं हैं।
रांची में अभी 1562 एक्टिव केस हैं, लेकिन सरकारी और निजी हॉस्पिटल मिलाकर कोरोना संक्रमितों के लिए मात्र 653 बेड हैं। इनमें से 250 ही खाली बचे हैं।
प्राइवेट हाॅस्पिटलों में भी व्यवस्था नाकाफी
वहीं, यदि निजी हॉस्पिटलों की बात करें तो 13 में कोविड मरीजों के लिए मात्र 341 बेड रिजर्व हैं।
इनमें गुरुवार तक मात्र 96 बेड ही खाली थे। बेड के साथ निजी हॉस्पिटलों में कोविड मरीजों के लिए आईसीयू बेड मात्र 80 और मात्र वेंटिलेटर 26 हैं।
सरकारी हॉस्पिटलों की बात करें तो रिम्स में 72 व सदर में 50 बेड हैं।
रिम्स के कोविड वार्ड में बेड फुल हो जाने के कारण चार गंभीर संक्रमितों को लौटना पड़ा। दो को सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जबकि दो अन्य निजी अस्पताल में भर्ती हुए।
रिम्स में भटक रहे पेशेंटस, नहीं मिल रही बेड
तिरिल बस्ती कोकर के 36 वर्षीय रंजीत कुमार की रिपोर्ट बुधवार को पॉजिटिव आई। उन्हें पहले से टीबी है।
सेवा सदन ने उन्हें रिम्स रेफर कर दियाए पर रिम्स ने बेड खाली नहीं होने के कारण भर्ती नहीं लिया।
रंजीत के परिजन अनिल ने कहा कि पैसे नहीं हैं कि निजी अस्पताल में इलाज करा सकूं।
वहीं, हरमू के सुजीत कुमार को भी रिम्स में बेड खाली नहीं होने के कारण निजी अस्पताल में भर्ती होना पड़ा।
उन्हें सांस लेने में परेशानी थी। ऑक्सीजन लेवल भी घट रहा था। परिजन तीन से चार घंटे तक रिम्स में इधर.उधर भटकते रह गए।