रांची: रांची नगर निगम की मेयर आशा लकड़ा ने कहा कि नौ सितंबर 2021को राज्य सरकार के संयुक्त सचिव ने राज्य के सभी नगर निकायों को महाधिवक्ता से प्राप्त मंतव्य भेजा था।
मंतव्य के तहत नगर आयुक्त को सुप्रीम पावर देकर मेयर को कमजोर करने का प्रयास किया गया था।
मेयर ने सोमवार को कहा कि इस संबंध में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल से झारखंड नगरपालिका अधिनियम-2011 के तहत मेयर के अधिकार एवं शक्ति से संबंधित मंतव्य प्राप्त किया है, जिसे राज्य सरकार और नगर आयुक्त को भेज दिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल के मंतव्य के अनुसार नगर निगम में मेयर का पद सर्वोपरि है।
मेयर के माध्यम से ही बैठक की तिथि, समय एवं एजेंडा निर्धारित किया जाना है।
साथ ही यदि कोई एजेंडा या प्रस्ताव, जिसे मेयर ने बैठक से पूर्व अनुमति प्रदान किया हो, लेकिन वह नियम संगत न हो या त्रुटिपूर्ण हो, तो संबंधित एजेंडा या प्रस्ताव को बैठक में उपस्थापित किए जाने पर भी मेयर रोक लगा सकती है।
इसी आधार पर उन्होंने 27 सितंबर की नगर निगम परिषद की बैठक में कार्यवृत्त संख्या-नौ, दस, 11, 14 एवं 16 पर रोक लगाया है। संबंधित एजेंडा त्रुटिपूर्ण और नियम संगत नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि संबंधित एजेंडों पर नगर आयुक्त से विस्तृत जानकारी भी मांगी गई, लेकिन उन्होंने अब तक इस संबंध में कोई जानकारी नहीं दी। नगर आयुक्त की कार्यशैली से यह स्पष्ट है कि वे परिषद के सदस्यों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं।
नगरपालिका तीसरी सरकार है। यहां मेयर अध्यक्ष और नगर आयुक्त परिषद के सचिव है। इसलिए मेयर के हर निर्देश का पालन करना सचिव का कर्तव्य है।
वहीं दूसरी ओर मेयर आशा लकड़ा ने कहा कि नगर आयुक्त मुकेश कुमार नहीं चाहते कि नगर निगम परिषद की बैठक हो।
आज की बैठक में निगम के कुछ अधिकारियों ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया, जिसका पार्षदों ने विरोध किया।
उन्हें यह जानकारी मिली है कि नगर आयुक्त के इशारे पर ही कुछ अधिकारियों ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया है। यदि नगर आयुक्त चाहते तो परिषद की बैठक में ऐसी स्थिति उत्पन्न नहीं होती।
लेकिन नगर आयुक्त का मूक दर्शक बना रहना और नगर निगम के कुछ अधिकारियों द्वारा उनके साथ अमर्यादित व्यवहार किया जाना पूर्व नियोजित साजिश के तहत किया गया है।